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पुलवामा की पहली बरसी : वादा भूले ‘माननीय’ तो शहीद के परिवार ने अपने अपने खर्च से बनवाया पार्क, लगवाई मूर्ति

 

देवरिया। पुलवामा में हुए आतंकी हमले की घटना को आज एक साल पूरा हो गया है। सरकार के शहीद परिवारों से वादे उनके लिए किसी संजीवनी से कम नहीं थे। पुलवामा हमले में देवरिया के लाल विजय कुमार मौर्य भी शहीद हो गए थे।

इस दौरान कई वादे किए गए, जिसमें से कुछ पूरे हुए तो कुछ अभी भी अधूरे हैं। सरकार के वादे के एक साल बीतने के बाद भी जब देवरिया के शहीद की याद में मूर्ति नहीं बनी तो परिजनों ने खुद के खर्च पर अपनी जमीन पर पार्क बनाने के साथ वहां शहीद की छह फीट ऊंची प्रतिमा लगाने का कदम उठा लिया। परिजनों के मुताबिक, पार्क निर्माण के करीब 20 लाख रुपये खर्च आया है। पहली पुण्यतिथि पर आज पार्क का उद्घाटन किया जाना है।

शहादत की ऐसे मिली जानकारी

एक साल पहले सीआरपीएफ में तैनात विजय कुमार मौर्य के पिता रामायन सिंह मौर्य की मोबाइल की घंटी बजी थी। फिर वर्ष 2008 में तैनात शहीद के परिवार में पुलवामा हादसे की जानकारी मिलने के बाद कोहराम मच गया था। 18 फरवरी 2019 को प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शहीद के घर पहुंचे थे। परिजनों ने शहीद की पत्नी और भाभी को नौकरी, गांव में शहीद स्मारक, शहीद के नाम पर गेट, गांव में चल रहे परिषदीय विद्यालय का नाम शहीद विजय मौर्य करने, सड़क और बिजली की मांगे रखीं थीं। करीब छह महीने इंतजार किया गया। पहल नहीं हुई तो शहीद के पिता और पत्नी ने निजी जमीन में पार्क बनवाने का फैसला किया। 08 फरवरी को शहीद की छह फीट ऊंची प्रतिमा भी राजस्थान से मंगा ली गई है। शहीद की पहली पुण्यतिथि पर आज पार्क का उद्घाटन और इस प्रतिमा के अनावरण किया जा रहा है।

पत्नी की कलेक्ट्रेट में मिली लिपिक की नौकरी

प्रदेश सरकार की ओर से शहीद के पिता को पांच लाख रुपये और पत्नी को 20 लाख का चेक सौंप था। हर संभव मदद का भरोसा दिया था। इसके बाद शहीद की पत्नी विजय लक्ष्मी को कलेक्ट्रेट में कनिष्ठ लिपिक के पद पर तैनाती दी गई।

तोरणद्वार, बिजली और सड़क का वादा हुआ पूरा

शहीद विजय की याद में छपिया जयदेव की तरफ जाने वाले रास्ते पर प्रशासन ने तोरणद्वार का बनवाया है। शहीद के दरवाजे तक जाने वाले रास्ता व विद्युतीकरण का कार्य पूरा हो चुका है। हालांकि, शहीद के नाम पर गांव के स्कूल का नामकरण नहीं हो सका है।

शहीद के पिता बोले सरकार ने अधिकांश वादे किए पूरे कुछ अधूरे

शहीद के पिता रामायन मौर्य कहते हैं कि शहीद की याद में शासन से स्मारक बनाने का भरोसा मिला था। बावजूद इसके कोई पहल नहीं हुई। तब खुद ही अपने शहीद बेटे के नाम से पार्क बनाकर मूर्ति स्थापित करने का निर्णय किया। हालांकि सरकार ने अधिकांश वादे पूरे किए हैं। लेकिन स्मारक निर्माण, बड़े बेटे की विधवा को नौकरी देने का वादा पूरा नहीं हो सका है।

जिलाधिकारी अमित किशोर का कहना है कि पहली बरसी पर ही तोरणद्वार और शहीद के दरवाजे तक बनी सड़क का लोकार्पण किया जा रहा है। स्कूल का नाम शहीद के नाम पर करने की कार्रवाई चल रही है।