Breaking News

आवश्यक सूचना: प्रदेश जागरण के सभी निर्गत परिचय पत्र निरस्त किये जा चुके हैं | अगस्त 2022 के बाद के मिलने या दिखने वाले परिचय पत्र फर्जी माने जाएंगे |

नसीमुद्दीन और रामवीर शासन से दोषमुक्त

आय से अधिक संपत्ति मामले की सतर्कता जांच में पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी, रामवीर उपाध्याय और नसीमुद्दीन की पत्नी व पूर्व एमएलसी हुस्ना सिद्दीकी दोषमुक्त कर दी गयी हैं। शासन ने यह जांच समाप्त कर दी है। जिस सतर्कता अधिष्ठान ने अपनी जांच में सिद्दीकी के खिलाफ मुकदमे की अनुमति मांगी थी उसी अधिष्ठान ने दोषमुक्त होने की संस्तुति की है।12_01_2017-nasimuddin

लोकायुक्त की संस्तुति पर सतर्कता अधिष्ठान ने नसीमुद्दीन के खिलाफ अभियोग पंजीकृत कर जांच की थी जबकि उनकी पत्नी हुस्ना सिद्दीकी और रामवीर उपाध्याय की खुली जांच हुई थी। लोकायुक्त की रिपोर्ट में यह आरोप था कि सिद्दीकी ने 1997 से 2012 के बीच 69 लाख रुपये कमाए और करीब 14 करोड़ रुपये व्यय किये। 1947 प्रतिशत के इस बेमेल अनुपात के चलते लोकसेवक के रूप में सिद्दीकी की जांच की संस्तुति हुई थी।सतर्कता अधिष्ठान ने 2013 में सिद्दीकी के खिलाफ अभियोग पंजीकृत करने के बाद जांच शुरू की और जुलाई 2015 में शासन को अपनी आख्या भेजी। सतर्कता की आख्या के मुताबिक 15 वर्षों की अवधि में लोकसेवक के रूप में नसीमुद्दीन की आय करीब चार करोड़ रुपये रही, जबकि उन्होंने 13 करोड़ रुपये व्यय किए।

सिद्दीकी को क्लीन चिट क्यों

नसीमुद्दीन ने सतर्कता जांच को चुनौती देते हुए आरोप लगाया था कि उनकी आय कम दिखाई गयी जबकि दूसरों के व्यय को भी उनके खाते में जोड़ा गया है। मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया। सुप्रीम कोर्ट ने छह माह के अंदर निर्णय लेने का आदेश दिया। इस बीच सिद्दीकी ने सतर्कता अधिष्ठान से लेकर शासन तक 20 आवेदन दिए। शासन स्तर से दोबारा परीक्षण के आदेश हुए। सतर्कता अधिष्ठान के दोबारा परीक्षण के बाद कहानी बदल गयी। जांच में यह आया कि नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने 15 वर्षों में 10.30 करोड़ की आय की जबकि व्यय सिर्फ 9.30 करोड़ किया। दोबारा परीक्षण में न केवल उनकी आय बढ़ गयी बल्कि खर्च घट भी गया। इस तरह आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का आरोप अप्रमाणित रहा और उन्हें क्लीन चिट मिल गयी। नसीमुद्दीन की पत्नी व पूर्व एमएलसी हुस्ना सिद्दीकी की 2007 से 2012 तक जांच की गयी। हुस्ना पर लखनऊ में कुर्सी रोड पर वास्तविक मूल्य से कम कीमत पर भूमि खरीदने और करोड़ों की आर्थिक अनियमितता के आरोप लगे थे। अधिष्ठान ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि उन पर कार्रवाई का औचित्य नहीं पाया गया।

रामवीर ने डेढ़ करोड़ कमाए और 75 लाख खर्च

पूर्व ऊर्जा मंत्री रामवीर उपाध्याय की खुली जांच 2007 से 2011 तक हुई। उनके खिलाफ भी लोकायुक्त ने संस्तुति की थी। रामवीर उनके पिता रामचरण उपाध्याय, भाई मुकुल उपाध्याय, विनोद उपाध्याय समेत कुल आठ लोगों के खिलाफ जमीन खरीद में स्टांप चोरी समेत कई गंभीर आरोप लगाए गये थे। सतर्कता अधिष्ठान ने अपनी रिपोर्ट में उन्हें क्लीन चिट दी है। अधिष्ठान ने कहा है कि निर्धारित अवधि में रामवीर की आय डेढ़ करोड़ रुपये थी जबकि उन्होंने खर्च सिर्फ 75 लाख रुपये किए। इस आधार पर शासन ने उन्हें भी क्लीन चिट दे दी।

रिपोर्ट गोपनीय

निदेशक सतर्कता अधिष्ठान भानुप्रताप सिंह ने कहा कि सतर्कता अधिष्ठान ने नसीमुद्दीन और रामवीर की जांच रिपोर्ट शासन को भेज दी है। हमारी रिपोर्ट गोपनीय होती है और उसके बारे में हम कुछ भी बता नहीं सकते। शासन ने क्या निर्णय लिया यह भी मुझे पता नहीं है।

बुआ-भतीजे का खेल उजागर

प्रदेश अध्यक्ष भाजपा केशव प्रसाद मौर्य ने कहाकि बसपा और सपा पिछले 14 वर्षों से उत्तर प्रदेश की जनता को छल रही है। इससे बुआ और भतीजे का खेल उजागर हो गया है। चुनाव के दौरान मायावती सपा के गुंडों को जेल भेजने और मुलायम और अखिलेश बसपा के भ्रष्टाचारियों को जेल भेजने की बात दोहराते रहे हैं लेकिन दोनों ने एक-दूसरे की रक्षा की है।

भाजपा सतर्कता जांच को बनाएगी मुद्दा

इलाहाबाद में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यसमिति के बाद रैली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बसपा और सपा पर निशाना साधा था। उन्होंने एक-दूसरे पर मिलीभगत का आरोप लगाया था। फिर झांसी में प्रदेश कार्यसमिति की बैठक और उसके बाद परिवर्तन यात्रा तथा परिवर्तन रैलियों में भी बसपा और सपा पर एक दूसरे के सहयोगी होने की बात कही गयी। दयाशंकर प्रकरण में भी सिद्दीकी और रामअचल राजभर पर मुकदमा दर्ज होने के बावजूद उन पर कार्रवाई न होने से भाजपा लगातार इसे मुद्दा बनाती रही है। भाजपा नेता अखिलेश और मायावती के बीच समझौते का आरोप लगाते रहे हैं। अब सतर्कता अधिष्ठान की जांच रिपोर्ट में दो पूर्व मंत्रियों को क्लीन चिट मिलने से भाजपा अपने आरोपों को और बल देगी।

2012 में सपा के घोषणापत्र का अंश

तब यह बोली थी सपा-पिछले पांच वर्ष में भ्रष्टाचार में अभूतपूर्व बढ़ोत्तरी हुई है। बीते पांच वर्ष के भ्रष्टाचार की जांच एक आयोग द्वारा कराई जाएगी जो निश्चित समय सीमा के अंदर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा। हमारी सरकार लोकसेवकों के बीच से भ्रष्टाचार के संपूर्ण विनाश के लिए कटिबद्ध होगी।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published.