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दिल्ली हाईकोर्ट ने दुष्कर्म के मामले में दाती महाराज से चार हफ्ते में मांगा जवाब

 

 

नई दिल्ली। दुष्कर्म के मामले के आरोपित दाती महाराज को ट्रायल कोर्ट से मिली अग्रिम जमानत के खिलाफ सीबीआई की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने दाती महाराज को जवाब देने के लिए 4 हफ्ते का समय दिया है। इस मामले की अगली सुनवाई 11 दिसंबर को होगी। इससे पहले 20 मार्च को कोर्ट ने दाती महाराज को नोटिस जारी किया था और आज तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था।

21 फरवरी को कोर्ट ने सीबीआई से पूछा था कि आखिर आप दाती महाराज की अग्रिम जमानत को रद्द क्यों करवाना चाहते हैं? कोर्ट ने पूछा था कि सीबीआई जांच का आदेश अक्टूबर 2018 में ही दे दिया गया था, तब उसके बाद से अब तक आपने दाती महाराज को हिरासत में लेने के लिए क्या कदम उठाया है?

सुनवाई के दौरान जस्टिस चंद्रशेखर ने सीबीआई से पूछा था कि दाती महाराज की हिरासत में लेकर पूछताछ क्यों जरूरी है? सीबीआई ने कहा था कि अपराध राजस्थान में घटित हुआ है। दिल्ली पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है, जिसकी जांच बाद में सीबीआई को सौंप दी गई। उन्हें केस में दो चीजों पर अपनी राय बनानी है। गवाहों का पुनर्परीक्षण करना है ताकि ये पता चल सके कि उनसे पूछताछ सही ढंग से हुई है कि नहीं और दूसरा कि वे जांच एजेंसी को सहयोग कर रहे हैं कि नहीं।

सीबीआई ने कहा था कि वे अभियुक्त को गिरफ्तारी से मिली सुरक्षा को चुनौती दे रहे हैं, क्योंकि वो जांच में सहयोग नहीं कर रहा है। सीबीआई ने कहा कि दाती महाराज की हिरासत में पूछताछ का प्रस्ताव डायरेक्टर के पास लंबित है। तब कोर्ट ने कहा था कि आप ये प्रस्ताव समेत सभी दस्तावेज कोर्ट में पेश करें।

22 जनवरी को दिल्ली की साकेत कोर्ट ने शर्तों के साथ दाती महाराज को अग्रिम जमानत दी थी। साकेत कोर्ट ने कहा था कि दाती महाराज बिना कोर्ट की इजाजत के दिल्ली के बाहर नहीं जा सकेंगे और जांच में सहयोग करेंगे। साकेत कोर्ट ने कहा था कि वे किसी भी तरह जांच को प्रभावित नहीं करेंगे औऱ सबूतों के साथ छेड़छाड़ नहीं करेंगे। कोर्ट ने निर्देश दिया था कि दाती महाराज पीड़ित और उसके परिवार से संपर्क नहीं करेंगे।

दाती महाराज ने हाईकोर्ट के 14 नवंबर, 2018 के सीबीआई जांच के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी लेकिन हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी थी। सीबीआई को जांच सौंपने के हाईकोर्ट के इस आदेश के खिलाफ दाती महाराज सुप्रीम कोर्ट भी गये थे लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज करते हुए हाईकोर्ट जाने को कहा था