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अमृत महोत्सव के तहत राजकीय नेशनल कॉलेज में दास्तां-ए-रोहनात मंचन का आयोजन

सिरसा
स्वतंत्रता संग्राम 1857 में आजादी की लड़ाई व अंग्रेजी हुकूमत के अत्याचारों के खिलाफ भिवानी जिले के गांव
रोहनात के लोगों ने न केवल कड़ा संघर्ष किया, बल्कि गांव के अनेक लोगों ने इस संघर्ष में अपनी कुर्बानियां दी।
गांव के नौंदा जाट, बिरड़ा दास व रूपराम खाती ने इस संघर्ष में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और गांव व देश की
सुरक्षा के लिए अपना बलिदान दिया। आजादी के अमृत महोत्सव के कार्यक्रमों की शृंखला में सूचना, जनसंपर्क,
भाषा एवं संस्कृति विभाग की ओर से गांव रोहनात की इस वीरगाथा पर आधारित नाटक दास्तां-ए-रोहनात का
मंचन आज अभिन्य रंगमंच के कलाकारों ने राजकीय नेशनल महाविद्यालय, सिरसा के सभागार में किया। इस
कार्यक्रम में मु य अतिथि के रूप में अतिरिक्त उपायुक्त डा. आनंद कुमार शर्मा उपस्थित रहे और दीप प्रज्वलन के
साथ कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
अतिरिक्त उपायुक्त डा. आनंद कुमार शर्मा ने कहा कि प्रदेश सरकार की ओर से आजादी के अमृत महोत्सव की
शृंखला में अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। सूचना, जनसंपर्क, भाषा एवं संस्कृति विभाग की ओर से
तैयार करवाए गए इस नाटक के माध्यम से नि.संदेह हमें इतिहास के पन्नों में दबी या छुपी इस गौरवगाथा को
जानने का अवसर मिला है। ऐसी वीरगाथाओं से हमें अपने गौरवमयी इतिहास व देश प्रेम के जज्बे के बारे में
जानकारी मिलती है। इस प्रकार से कार्यक्रमों से युवा पीढ़ी को भी देशभक्ति व देश प्रेम की प्रेरणा मिलती है।

उन्होंने कहा कि देश की आजादी के इतिहास को हमेशा याद रखना जरूरी है। देश की आजादी की लड़ाई में
हरियाणा का बड़ा योगदान रहा है, जिस पर प्रत्येक हरियाणावासी को गर्व है। इस आजादी के लिए न जाने कितने
युवाओं, महिलाओं व छोटे बच्चों तक ने अपनी कुर्बानियां दी हैं। अब हमें इस आजादी को सहेजकर रखना है और
देश की तरक्की व देश सेवा में अपना जीवन लगाना है।
नाटक मंचन में दास्तां-ए-रोहनात का सजीव चित्रण प्रस्तुत किया गया, जिसमें इतिहास के पन्नों से गायब
गुमनाम नायकों व गांव की वीरगाथा को दर्शाया गया। इतिहास के पन्नों में गांव की गौरवगाथा को वह स्थान नहीं
मिल पाया, जिसके वे हकदार थे। ऐसे ही गुमनाम नायक नौंदा जाट, बिरड़ा दास व रूपराम खाती और रोहनात गांव
के लोगों के आजादी के लिए कड़े संघर्ष को इस नाटक के माध्यम से प्रस्तुत किया गया। इसमें स्वतंत्रता संग्राम
1857 व गांव रोहनात की क्रांति के साथ-साथ अंग्रेजों की कूटनीतिक चालों, डिवाइड एंड रूल पॉलिसी, अंग्रेजों
द्वारा किए गए अत्याचारों सहित कई अन्य महत्वपूर्ण तथ्यों को प्रस्तुत किया गया। किस प्रकार अंग्रेजों के
अत्याचार के चलते गांव का कुआं जलियांवाला बाग जैसी घटना की तरह ग्रामीणों की लाशों से भर गया था।
नाटक को जिस प्रकार से लिखा गया था, उसके एक-एक शब्द में क्रांति का भाव था और जिस प्रकार से कलाकारों
द्वारा डायलॉग डिलीवरी (संवाद प्रस्तुति) की गई वह रोंगटे खड़े कर देने वाली थी। विशेषकर बिरड़ा दास, नौंदा
जाट व रूपराम खाती, जिनका किरदार क्रमश: अतुल लांगया, यश राज शर्मा व बबलू द्वारा निभाया गया था, को
लोगो द्वारा खूब सराहा गया। इसी प्रकार, ब्रिटिश ऑफिसर बने कामेश्वर ने हिदी भाषा में जिस प्रकार अंग्रेजी टोन
के तहत डायलॉग डिलीवरी की, वह भी काबिले तारीफ थी। नरसंहार की इस अनकही-अनसुनी कहानी ने जहां एक
तरफ पूरे वातावरण को देश भक्ति के रंग में रंग दिया। नाटक का निर्देशन मनीष जोशी व लेखन यशराज शर्मा का
रहा। डीआईपीआरओ सुरेंद्र बजाड़ ने कार्यक्रम में आए सभी अतिथियों व दर्शकों का स्वागत व धन्यवाद किया।
डीआईपीआरओ सुरेंद्र बजाड़ ने मु य अतिथि व विशिष्टï अतिथियों को मोमेंटो भेंट किए। इस अवसर पर कालेज के
प्राचार्य डा. संदीप गोयल, डा. हरजिंद्र ङ्क्षसह, डा. सत्यपाल, डा. जीतराम, डा. कृष्ण गोपाल, डा. बलदेव सिंह व
डीआईपीआरओ कार्यालय का स्टाफ उपस्थित रहा।