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व्यक्तिगत स्वतंत्रता के नाम पर अपराध को संरक्षण देने में कोर्ट बरते सावधानी : उच्च न्यायालय

-अपहरण, दुराचार व जबरन शादी कर कोर्ट से संरक्षण लेने वाले आरोपी की याचिका खारिज

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बालिग लड़की का अपहरण कर डरा धमकाकर शादी करने के बाद याचिका दायर कर संरक्षण प्राप्त करने को कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग करार दिया है। कोर्ट ने कहा है कि उसे सावधान रहने की जरूरत है कि कोई व्यक्तिगत स्वतंत्रता के नाम पर अपराध से बचने का उपाय न करने पाये। इसे चेक करने की जरूरत है।

कोर्ट ने अपहरण, दुराचार व जबरन शादी करने के आरोपी की गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग में दाखिल याचिका खारिज कर दी है। यह आदेश न्यायमूर्ति एस.पी केसरवानी तथा न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने प्रयागराज के उतरांव थाना क्षेत्र के उमाशंकर मौर्य व रमाशंकर मौर्य की याचिका पर दिया है।

पीड़िता जब आरोपी के चंगुल से बचकर आयी तो उसने एफआईआर दर्ज कराई तथा मजिस्ट्रेट को अपने बयान में आरोपों को दुहराया। उसने कहा कि अपनी जाति के लड़के से 10 दिसम्बर 20 को सगाई हुई और 24 मई 21 को शादी होने वाली थी। उससे पहले याचियों व एक अज्ञात व्यक्ति ने उसका अपहरण कर लिया। छूटी तो 16 जून 21 को एफआईआर दर्ज कराई।

अपहरण के बाद 12 मार्च 21 को हाईकोर्ट में पीड़िता के नाम से याचिका दायर कर संरक्षण आदेश दे लिया कि उन दोनों के शांतिपूर्ण जीवन में कोई हस्तक्षेप न करने पाये। कोर्ट ने कहा कि ऐसा कर याची ने कोर्ट के साथ फ्राड किया। कोर्ट ने प्राथमिकी पर हस्तक्षेप से इंकार करते हुए याचिका खारिज कर दी है।