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कोरोना का असर: अप्रैल में विनिर्माण क्षेत्र में देखी गई अब तक की सबसे बड़ी गिरावट

पूरे देश में लॉकडाउन के कारण गत अप्रैल में देश के विनिर्माण क्षेत्र में अब तक की सबसे बड़ी गिरावट देखी गयी और आईएचएस मार्किट द्वारा जारी खरीद प्रबंधक सूचकांक (पीएमआई) लुढ़ककर 27.4 रह गया। आईएचएस मार्किट माह दर माह आधार पर विनिर्माण और सेवा क्षेत्र के आंकड़े जारी करता है। सूचकांक का 50 से ऊपर रहना वृद्धि और इससे नीचे रहना गिरावट को दर्शाता है जबकि 50 पर होना स्थिरता दिखाता है।

सूचकांक 50 से जितना अधिक नीचे गिरता है वह उत्पादन में उतनी बड़ी गिरावट को दर्शाता है। अप्रैल महीने की गिरावट कितनी बड़ी है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 2009 की वैश्विक आर्थिक मंदी के दौरान भी देश का विनिर्माण पीएमआई करीब 44 तक ही लुढ़का था।

एजेंसी की आज जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि अप्रैल में भारतीय विनिर्माण उत्पादन में अभूतपूर्व गिरावट देखी गई। कोरोना वायरस ‘कोविड-19’ महामारी का संक्रमण रोकने के लिए लगाये गये राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के कारण कारोबार बंद रहने से ऐसा हुआ। बेदह कम मांग के माहौल में नये ऑर्डरों में रिकॉर्ड गिरावट रही और कंपनियों ने भारी संख्या में कर्मचारियों की छंटनी की।

आईएचएस मार्किट के अर्थशास्त्री इलिअट केर ने रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये कहा कि उत्पादन, नये ऑर्डर, मांग और रोजगार में गिरावट के बीच एक सकारात्मक पहलू यह है कि अगले एक साल के परिदृश्य को लेकर कारोबारियों की धारणा आशापूर्ण है, हालांकि आशावाद का स्तर ऐतिहासिक औसत से काफी कम है।

आंकड़ों के अनुसार, लॉकडाउन के बीच मांग में कमी से नये ऑर्डरों में भी भारी गिरावट रही। पिछले ढाई साल में पहली बार नये ऑर्डरों में कमी दर्ज की गयी है। विदेशों से आने वाली मांग में 15 साल की सबसे बड़ी गिरावट रही।

उल्लेखनीय है कि आईएचएस मार्किट 15 साल से ही दुनिया की अर्थव्यवस्थाओं के आंकड़े एकत्र कर रहा है। मांग में कमी के कारण कंपनियों ने जमकर कर्मचारियों की छंटनी की। छंटनी की रफ्तार भी 15 साल में सर्वाधिक रही। साथ ही कच्चे माल की खरीद की रफ्तार में भी 15 साल की सबसे तेज गिरावट दर्ज की गयी।