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चंद्रयान-2 का चंद्रमा की सतह के क़रीब पहुंचना विलक्ष्ण उपलब्धि : नासा

 

लॉस एंजेल्स। नासा को भारतीय चंद्रयान-2 का मलबा मिला है, जो पिछली सितम्बर को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने के चंद मिनट पूर्व दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ‘नासा’ ने चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर के उस स्थान पर गिरने और उसके मलबे के चित्र प्रसारित किए हैं।

चंद्रयान-2 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की सतह तक पहुंचने में सफल हो जाता तो भारत दुनिया का पहला देश होता, जहां अमेरिका सन 2024 में जाने की योजना बना रहा है। वैसे चांद की सतह तक जाने वाले देशों में अमेरिका के ही अरबपति जेफ़ बेजोस, एलन मुस्क और रिचर्ड बरनसन अपने-अपने स्टेटलाइट से चंद्रयान में यात्री तक भेजे जाने की होड़ में लगे हुए हैं।

नासा ने कहा है, इस दुर्घटना के बावजूद चंद्रयान-2 का चंद्रमा की सतह के क़रीब पहुंचना एक विलक्ष्ण उपलब्धि है। नासा ने लैंडर विक्रम के दुर्घटनाग्रस्त होने के स्थान और मलबे के दृश्य प्रसारित करते हुए कहा कि यह अपने निर्धारित समय पर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव तक उतरने में सफल हो जाता तो यह एक विलक्ष्ण घटना होती। एक वक्तव्य में कहा गया कि इस मलबे की पहचान एक भारतीय मैकेनिकल इंजीनियर शनमुगम सुब्रमण्यम ने की थी। उसने तत्काल नासा टीम को विश्वास में लिया।

इस चंद्रयान-2 को चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में चंद्रमा की सतह के उन अनछुए हिस्सों के बारे में खोजबीन करनी थी और यह देश के लिए एक राष्ट्रीय स्वाभिमान का विषय बन गया था। यह चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव का वह हिस्सा था, जहां अभी तक कोई देश नहीं पहुंच पाया था। इस अभियान का उद्देश्य चंद्रमा के बारे में जानकारी एकत्र करना था, जिससे मानव जाति को लाभ मिल सके।

लैंडर विक्रम को चांद की सतह पर पहली सफल लैंडिंग के लिए डिजाइन किया गया था। ऑर्बिटर को चंद्रमा की सतह का निरीक्षण करना और पृथ्वी एवं चंद्रयान-2 के लैंडर-विक्रम के बीच संकेत रिले किए जाने का काम करना था। यह पहला भारतीय अभियान था, जो देश में विकसित प्रोद्योगिकी के साथ चंद्रमा की सतह की जानकारियां एकत्र करने के बारे में भेजा गया था।