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केन्द्र सरकार को अर्थव्यवस्था की समझ नहीं : चिदंबरम

नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने गुरुवार को कहा कि केन्द्र सरकार को अर्थव्यवस्था संचालन की समझ नहीं है और समझादार लोगों को उसने बाहर कर दिया है। अगर अर्थव्यवस्था को सुधारने का यही भाजपा सरकार का तरीका है तो भगवान ही देश को बचाए।

आईएनएक्स मीडिया मामले में 105 दिन जेल में रहने के बाद बुधवार शाम रिहा हुए चिदंबरम ने आज कांग्रेस कार्यालय में प्रेसवार्ता को संबोधित किया। वह इससे पहले वह सुबह संसद भी पहुंचे थे। अपनी प्रेसवार्ता में चिदंबरम ने कश्मीर के मुद्दे से शुरुआत की और बाद में अर्थव्यवस्था के मुद्दे पर सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने सरकार के नोटबंदी व जीएसटी के फैसलों की आलोचना की। अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति पर टिप्पणी की और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के सकल घरेलु उत्पाद संबंधी संभावना आंकड़ों पर बात की।

इसके अलावा उन्होंने गांधी परिवार की एसपीजी सुरक्षा हटाने, नागरिकता संशोधन विधेयक और देश में बढ़ती बलात्कार की घटनाओं पर टिप्पणी की। बलात्कार की घटनाओं की निंदा करते हुए चिदंबरम भावुक भी हो गए। अपने जेल अनुभव को साझा करते हुए उन्होंने कहा कि वह अधिक मजबूत होकर लौटे हैं और सरकार पर अधिक शक्ति से प्रहार करने के लिए तैयार हैं।

अर्थव्यवस्था पर चिदंबरम ने कहा कि देश की आर्थिक स्थिति जीडीपी के पिछली छह तिमाही के घटते आंकड़े 8, 7, 6.6, 5.8, 5 और 4.5 साफ दर्शाते हैं। उन्होंने कहा कि यह गनीमत होगी कि अगर साल के अंत में जीडीपी के आंकड़े 5 प्रतिशत का आंकड़ा हासिल कर सकें। उस पर भी सरकार की आंकलन की प्रक्रिया सवालों के घेरे में है।

पी चिदंबरम ने कहा कि सबसे जरूरी है कि हमें मर्ज पता चले, तभी इलाज कारगर होगा। इस वित्त वर्ष के सात महीने बीत जाने के बाद भी सरकार को लगता है कि अर्थव्यवस्था की खस्ता हालत ‘चक्रीय’ है। सरकार गलत है, क्योंकि उसे कुछ नहीं पता। सरकार गलत दिशा में सोच रही है क्योंकि उसे नोटबंदी, गलत जीएसटी, कर आतंकवाद, नियामक अधिभार, संरक्षणवाद और प्रधानमंत्री कार्यालय तक सीमित निर्णय लेने की प्रक्रिया जैसी आम गलतियां भी नजर नहीं आ रही हैं। वह आने वाले समय में इन्हीं मुद्दों पर सरकार को घेरेंगे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री अर्थव्यवस्था पर असामान्य रूप से मौन रखे हुए हैं। उन्होंने इसके लिए अपने मंत्रियों को झूठ बोलने और झांसा देने के लिए छोड़ दिया है। सूक्ष्म, मध्यम एवं लघु उद्योगों के ऋण, विनिर्माण, कोर सेक्टर और बेरोजगारी के आंकड़े लचर अर्थव्यवस्था की ओर इशारा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यूपीए की सरकार ने 2004 से 2014 के बीच 14 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला था। जबकि, 2016 में नोटबंदी के बाद से राजग सरकार ने लाखों लोगों को गरीबी रेखा से नीचे धकेल दिया है।

चिदंबरम ने जीडीपी संबंधित संभावनाओं से जुड़े आंकड़ों को लेकर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की काबलियत और स्वायत्तता पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि फरवरी में आरबीआई ने विकास दर की संभावना 7.4 प्रतिशत आंकी थी और महज नौ महीनों के बाद वह 4.5 पर आ गया है। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता के मुद्दे से समझौता नहीं किया जा सकता है। अगर हम अपनी स्वतंत्रता की रक्षा करना चाहते हैं तो हमें कश्मीर के लोगों की स्वतंत्रता के लिए लड़ना होगा। आजादी की हवा में सांस लेने के बाद उनका पहला विचार और प्रार्थना कश्मीर घाटी के 75 लाख लोगों के लिए थी, जिन्हें 4 अगस्त, 2019 से अपनी बुनियादी स्वतंत्रता से वंचित कर दिया गया है।

गांधी परिवार की एसपीजी सुरक्षा हटाने के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि सरकार को इसकी जिम्मेदारी लेनी होगी। गांधी परिवार ने इसे सहजता से स्वीकार कर लिया है। उन्होंने कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक का उनकी पार्टी संसद में विरोध करेगी। देश में बढ़ती बलात्कार की घटनाओं से जुड़े एक प्रश्न का उत्तर देते समय पी चिदंबरम भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि एक दिन एक अखबार में उन्होंने बलात्कार की 6 घटनाओं से जुड़ा समाचार पड़ा। उन्हें लगता है कि यह बेहद शर्मनाक है।