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तिरपाल के नीचे रहने को विवश है खजुहा की बुंदेला

देव श्रीवास्तव/लखीमपुर-खीरी।
बाढ़ राहत के नाम पर पीडि़तों में तहसील प्रशासन ने भले ही कई लाखों की रकम वितरित कर दी होएलेकिन यह तस्वीर प्रशासन के तमाम दावों की पोल खोल रही है। न तो सिर ढकने के लिए सरकारी छत है और न ही अहेतुक धनराशि। जी हां हम बात कर रहे हैं तहसील धौरहरा के गांव खजुहा की निवासी करीब 45 वर्सीय बुंदेला पत्नी खलील की। जिसका घर बरसात व जल भराव में गिरने के कारण तिरपाल के नीचे रह रही है। उसकी सहायता के लिए न तो ग्राम पंचायत और न ही तहसील प्रशासन के हाथ आगे बढ़े। जिसे देखकर एक बार इंसानियत को भी शर्म आ जाए।

अब तक नहीं जागा प्रशासन

गांव खजुहा निवासी बुंदेला की शादी करीब 20 वर्ष पहले क्षेत्र के गांव धुंधाकलां निवासी खलील से हुई थी। खलील के नेत्रहीन होने के कारण बुंदेला ने अपने पति को छोड़ दिया। नतीजन वह अपने गांव वापस आ गई। कुछ दिनों तक बुंदेला के भाइयों ने उसकी देख-रेख की। आपसी खींचतान में आखिरकार बुंदेला तिरपाल के नीचे आ गई। बुंदेला ने बताया कि भाइयों के साथ रहकर किसी तरह से एक-एक पैसा जमाकर उसने कच्चा मकान बनवाया था। जो इस बार हुई बरसात व जल भराव में गिर गया। जिसके चलते वह गांव में ही तिरपाल डालकर रहने लगी। इसी बीच किसी गांव वाले ने जब बुंदेला को बताया कि तहसील प्रशासन बाढ़ में गिरे घर वालों को अहेतुक राशि प्रदान कर रही है। फिर क्या था। अपने परिवार की नहीं प्रशासन की मदद सुनकर बुंदेला की आंखों में चमक आ गई। उसने क्षेत्रीय लेखपाल को अपने घर गिरने की बात बताई। उसने उम्मीद लगाए कि उसे एक आवास व कुछ सहायता मिल जाएगी।लेकिन तहसील प्रशासन के यह सजग प्रहरी नोटों की चमक शिकायत में न देख कर बुंदेला के अरमानों पर पानी फेर दिया। बुंदेला का आरोप है कि लेखपाल ने उसे तहसील प्रशासन से मिलने वाली अहेतुक राशि अभी तक नहीं दी है। जबकि दीवार गिरने पर भी गांव में अन्य लोगों के खाते में सहायता के नाम पर 3200 रुपए प्रदान किये गए है। फिलहाल सरकार की बाढ़ पीडि़तों को प्रदान की जाने वाली अहेतुक राशि पूरे तहसील में बंदरबांट का शिकार हो गई है। जिला प्रशासन कागजों पर दावे पर दावा ठोक रहा है। वहीं पीडि़त एक जून की रोटी तक को मोहताज है।