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बीएसएफ ऑफीसर और उनकी पत्नी को कर दिया गया विदेशी घोषित, जानिए क्या है मामला

 

 

जोरहाट (असम)। सीमा सुरक्षाबल (बीएसएफ) के सहायक उपनिरीक्षक (एएसआई) मुजिबुर रहमान और उनकी पत्नी को को जोरहाट विदेशी न्यायाधिकरण ने विदेशी घोषित किया है। इसको लेकर एक बार फिर से विवाद उत्पन्न हो गया है।

एएसआई रहमान असम-नगालैंड के सीमा जिला गोलाघाट के मेरापानी उदयपुर-मिकिरपट्टी का मूल निवासी हैं। वर्तमान में उसकी पोस्टिंग पंजाब में है। उन्हें छुट्टी पर घर आने के बाद न्यायाधिकरण के आदेश के बारे में जानकारी मिली।

एएसआई रहमान ने मीडिया को बताया कि वे मूलरूप से एक भारतीय नागरिक हैं, लेकिन एक शराबी के बयान के आधार पर मुझे विदेशी नागरिक घोषित किया गया है। उन्होंने बताया कि वे बाहर थे, जबकि न्यायाधिकरण के निर्देश की जानकारी मेरे परिजनों को नहीं मिली थी बल्कि मेरे गांवबूढ़ा ने उक्त मामले की जानकारी दी।

उनका कहना है कि सीमांत पुलिस ने एक शराबी के बयान के आधार पर मेरे खिलाफ झूठा आरोप विदेशी न्यायाधिकरण में दाखिल किया, जिसके चलते मुझे और मेरी पत्नी को विदेशी नागरिक घोषित किया गया जो दुर्भग्यपूर्ण बात है। उन्होंने बताया कि वे इस संबंध में गौहाटी उच्च न्यायालय में एक मामला दाखिल किया है।

एएसआई ने बताया कि अवैध विदेश नागरिकों के विरूद्ध जो भी कदम उठाया जाए, उसका मैं समर्थन करता हूं, लेकिन मैं मूलरूप से भारतीय नागरिक हूं, इसलिए मुझे परेशान किया जाए, यह मुझे स्वीकार नहीं है। उन्होंने कहा कि ना तो मैं और ना ही मेरी पत्नी डरे हुए हैं। मेरे पास प्रमाण के रूप में वर्ष 1927 के जमीन के कागज भी हैं।

गौरतलब है कि विदेशी न्यायाधिकरण द्वारा सेना या बीएसएफ के अधिकारी को विदेशी घोषित किया जाना यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी सेना के सेवानिवृत्त कैप्टन मोहम्मद सनाउल्लाह को भी चालू वित्त वर्ष के 28 मई को विदेशी के रूप में घोषित करते हुए ग्वालपाड़ा के डिटेंशन कैंप में भेज दिया गया था। गौहाटी उच्च न्यायालय ने सनाउल्लाह को जमानत पर रिहा किया था। वह मामला भी अभी अदालत में लंबित है। इस तरह के राज्य की सीमांत पुलिस की गलत जांच के चलते भारतीय नागरिकों को भी विदेशी के नाम पर परेशान किये जाने के मामले को लेकर राज्य में काफी विवाद हो रहा है।