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आज बंद है भारत, जानिए क्या हैं ये है भारत बंद का मकसद…

बुधवार सुबह आठ जनवरी को भारत बंद रहेगा। न सब्जी मिलेगी न दूध। देश ही नहीं उत्तर प्रदेश के सभी 75 जिलों के बैंकों में हड़ताल रहेगी। छह बैंकिंग यूनियन व 10 सेंट्रल ट्रेड यूनियन ने भारत बंद का समर्थन किया है।

इस वजह से सरकारी के साथ निजी बैंकों की सेवाएं भी बाधित रहेंगी। इस हड़ताल में करीब 25 करोड़ लोग शामिल हो सकते हैं।

इस भारत बंद को देशभर में 249 किसान संगठन और 80 विद्यार्थी संगठन का समर्थन प्राप्त है। किसान संगठनों ने सभी किसानों से अपील की है कि वे दूध,सब्जी सहित अन्य उत्पाद शहरों में लेकर न जाएं।

भारत बंद से जुड़ी अहम बातें जानिए

10 ट्रेड यूनियन

ट्रेड यूनियनों इंटक, एटक, एचएमएस, सीटू, एआईयूटीयूसी, टीयूसीसी, एसईडब्ल्यूए, एआईसीसीटीयू, एलपीएफ, यूटीयूसी सहित बैंक कर्मचारी सेना महासंघ कह चुका है कि वे हड़ताल का समर्थन करेंगे। जो बैंक यूनियन समर्थन कर रहे हैं, उनके समर्थित बैंक कल बंद रहेंगे।

और किसका हड़ताल को समर्थन 

इसके अलावा 60 स्टूडेंट यूनियन यूनिवर्सिटीज के अधिकारियों ने भी हड़ताल का हिस्सा बनने का ऐलान किया है। ये शिक्षा संस्थानों में फीस बढ़ोतरी और शिक्षा के कमर्शलाइजेशन का विरोध करेंगे।

हड़ताल में शामिल बैंक यूनियन

छह बैंक यूनियन-ऑल इंडिया बैंक एंप्लॉई असोसिएशन, ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स असोसिएशन, बीईएफआई, आईएनबीईएफ, आईएनबीओसी और बैंक कर्मचारी सेना महासंघ कह चुका है कि वे हड़ताल का समर्थन करेंगे। जो बैंक यूनियन समर्थन कर रहे हैं, उनके समर्थित बैंक कल बंद रहेंगे।

एटीएम में होगी कैश की किल्लत

अगर बैंक के कामकाज पर असर होगा और ज्यादातर बैंक बंद रहेंगे तो कैश का डिस्ट्रीब्यूशन नहीं हो पाएगा जिसके कारण एटीएम में कैश की किल्लत हो सकती है। कैश किल्लत की समस्य 9 जनवरी को भी बनी रह सकती है।

बैंक का कुछ काम नहीं होगा

बैंक से कैश निकासी और जमा करना संभव नहीं होगा, इसके अलावा चेक क्लियरिंग का काम भी नहीं होगा। हालांकि ऑनलाइन बैंकिंग के कामकाज पर किसी तरह का असर नहीं होगा। कई बैंक शेयर बाजार को जानकारी दे चुके हैं कि वे आठ जनवरी को बंद रहेंगे।

निजी बैंक भी अछूते नहीं

हड़ताल का प्राइवेट बैंक पर कोई असर नहीं होगा।

बैंक कर्मचारियों की वजह

बैंक कर्मचारी बैंक मर्जर के फैसले का लगातार विरोध कर रहे हैं। इसी वजह से वे हड़ताल में शामिल हो रहे हैं।

ये है भारत बंद का मकसद

केंद्र सरकार की आर्थिक और जन विरोधी नीतियों के विरोध में ट्रेड यूनियन्स की तरफ से हड़ताल का आयोजन किया गया है। इसके अलावा वे प्रस्तावित लेबर लॉ का भी विरोध कर रहे हैं। स्टूडेंट यूनियन्स शिक्षण संस्थानों में फीस बढ़ाने का विरोध कर रहे हैं।

हड़ताल में शामिल लोगों की संख्या

ट्रेड यूनियन्स की तरफ से संयुक्त बयान जारी कर कहा गया कि इस हड़ताल में करीब 25 करोड़ लोग शामिल हो सकते हैं।

सरकार से वार्ता असफल

2 जनवरी को ट्रेड यूनियन के प्रतिनिधि लेबर मिनिस्टर से मिले लेकिन बात नहीं बन पाई जिसकी वजह से ट्रेड यूनियन ने आठ तारीख को घोषित हड़ताल को वापस नहीं लेने का फैसला किया।

इसके बाद दस श्रमिक संगठनों ने एक संयुक्त बयान में कहा, ‘‘श्रम मंत्री के द्वारा बुलायी गयी बैठक के बाद केंद्रीय श्रमिक संगठनों ने इरादे पर टिके रहने की सहमति व्यक्त की हैं। आठ जनवरी को आम हड़ताल का निर्णय अटल है।’’

किसान संघर्ष समिति के संयोजक सरदार वीएम सिंह ने बताया कि 8 जनवरी को ग्रामीण भारत बंद करके किसान नए साल में अपनी पीड़ा को दर्शाएगा। साथ ही सरकार से उनके निवारण की उम्मीद करेंगे। सरकार ने समस्याओं का हल नहीं किया तो जायज मांगों को मनवाने के लिए आंदोलन किया जाएगा।

ग्रामीण भारत बंद के मुद्दे

  • किसानों का कृषि व अन्य कर्ज माफ नहीं हुआ
  • ओलावृष्टि से बर्बाद फसल का मुआवजा नहीं मिला
  • आवारा पशु से फसलों को नुकसान
  • गांव की अधिगृहीत भूमि का सही मुआवजा नहीं मिला
  • 60 साल की उम्र के बाद भी पेंशन नहीं
  • पराली जलाने व गन्ने की पत्ती जलाने पर मुकदमा
  • दूध केरेट पर 5 रुपए सब्सिडी नहीं।