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श्री कृष्णाजन्माष्टमी:मथुरा से पहले यहाँ मनाई जाता है कृष्ण का जन्मोत्सव

माखनचोर भगवान श्रीकृष्ण बचपन में बहुत नटखट थे। यही कारण है कि गोकुल की गलियों में कृष्ण की बाल लीलाएं आज भी जीवंत दिखायी देती हैं और जन्माष्टमी पर इन्हीं बाल लीलाओं को झाकियों के रुप में दर्शाया जाता है। इस वर्ष कृष्ण जन्माष्टमी 24 अगस्त को मनायी जाएगी।

वैसे तो पूरे देश में जन्माष्टमी मनायी जाती है लेकिन कृष्ण की जन्म की नगरी गोकुल में काफी अनोखे तरीके से कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है जिसे देखने के लिए दूर दूर से लोग यहां एकत्रित होते हैं। आइये जानते हैं गोकुल में कैसे मनायी जाती है जन्माष्टमी.

जन्म से पहले होती है छठी
आपको सुनकर थोड़ी हैरानी जरूर होगी लेकिन गोकुल में कृष्ण के जन्म से पहले ही उनकी छठी मनायी जाती है। इस दिन कृष्ण के बाल रुप की विधि विधान से पूजा की जाती है।

ऐसे शुरू हुई यह रस्म
कंस किसी बच्चे के हाथों अपनी मौत की भविष्यवाणी सुनकर व्याकुल हो गया था। उसने पूतना नामक राक्षसी को गोकुल और मथुरा में छह दिनों के भीतर पैदा हुए सभी बच्चों को मारने का आदेश दिया। हालांकि वासुदेव कृष्ण को टोकरी में रखकर नंद के घर छोड़ आए थे। पूतना को भ्रमित करने के लिए गोकुल में पहले कृष्ण की छठी मनायी जाती है।

यशोदा से हो गई थी भूल
पौराणिक कथाओं के अनुसार जब पूतना छह दिन के भीतर जन्में बच्चों को मारने के लिए गोकुल पहुंची तब यशोदा ने कृष्ण को छिपा लिया और वह कृष्ण की छठी का पूजा करना भूल गयीं। इसलिए गोकुल में पहले कृष्ण की छठी मनाकर उनकी पूजा की जाती है।

छठी पर ही कृष्ण ने किया पूतना का वध
मां यशोदा के काफी प्रयासों के बाद भी पूतना कृष्ण तक पहुंच गयी और उन्हें मारने के लिए अपनी गोद में उठाकर अपने स्तन का जहरीला दूध पिलाने लगी। लेकिन कृष्ण ने पूतना का वध कर दिया। इसलिए कृष्ण की छठी का महत्व अधिक है।

बूढ़ी महिलाओं ने यशोदा को दी थी सलाह
अपने छठी के दिन कृष्ण ने पूतना का वध करने के बाद कई बड़े राक्षसों को भी मारा था। जब कृष्ण एक वर्ष के हो गए तो उनका जन्मदिन मनाने के लिए यशोदा ने गोकुलवासियों को आमंत्रित किया। इस दौरान गोकुल की बड़ी बूढ़ी महिलाओं ने यशोदा को पहले छठी पूजने और फिर जन्मदिन मनाने की सलाह दी। तभी से पहले छठी पूजी जाती है।

जन्माष्टमी से एक दिन पहले होती है छठी
गोकुल की महिलाओं की बात मानकर यशोदा ने कृष्ण के जन्म के एक दिन पहले उनकी छठी पूजी और ब्राह्मणों को भोजन कराया। तभी से गोकुल में जन्माष्टमी से पहले छठी मनाने की प्रथा चलती आ रही है।

सोर्स:टाइम्स नाउ