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रानी लक्ष्मीबाई के राखी भेजने पर बांदा नवाब ने की थी मदद

बांदा। जिस तरह हुमायूं एक राखी का संदेश पाकर अपनी मुंह बोली बहन चित्तौड़ की रानी कर्णावती की मदद के लिए सेना लेकर चित्तौड़ पहुंच गया था। ठीक इसी तरह की कहानी बांदा नवाब और झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की है। जब अंग्रेजों ने झांसी में आक्रमण कर दिया, तो रानी लक्ष्मीबाई ने मुंह बोले भाई नवाब बांदा को राखी भेजकर मदद मांगी। जिस पर बांदा नवाब ने अंग्रेजों से लोहा लिया था।
 
रक्षाबंधन भाई-बहन के पवित्र प्रेम का पर्व है। इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है, जिसे शास्त्रों में रक्षा सूत्र कहा गया है। भारत भूमि में ऐसी अनेक सच्ची कथाएं हैं, जब बहन ने अपने भाई के लिए सर्वस्व न्योछावर कर दिया और भाई ने बहन को दिए वचन की रक्षा के लिए देश, मजहब और जाति की दीवारों की परवाह नहीं की।
इतिहासकार चंद्रिका प्रसाद दीक्षित ललित बताते हैं कि बात 1849 की है। बांदा में नवाब अली बहादुर सानी (द्वितीय) का शासन था। उस समय अंग्रेजों ने बांदा में हमला कर दिया थी मटौध क्षेत्र के गोयरा मुगली गांव में नवाब और अंग्रेजी फौज के बीच भीषण युद्ध हुआ। यह युद्ध एक हफ्ते तक चला। दोनों ओर से लड़ाई हुई। अंतत नवाब की सेना ने जीत हासिल कर अंग्रेजों को खदेड़ दिया। उधर झांसी में भी अंग्रेजों ने किले की घेराबंदी करके झांसी जाने वाले सभी रास्ते बंद कर दिया। रानी झांसी और अंग्रेजों के बीच युद्ध शुरू हो गया। अंग्रेजी फौज ने मंदिरों की आड़ लेकर तोप से बमबारी शुरू कर दी। जिसका मुकाबला रानी लक्ष्मीबाई के तोपची गुलाम गौस ने किया।
 
इधर रानी लक्ष्मीबाई ने अपना संदेशवाहक बांदा नवाब के पास भेजा। साथ में एक पत्र भी भेजा उस पत्र में राखी भी थी। पत्र में रानी ने लिखा था,’ बहन की लाज खतरे में है’ अंग्रेजों को झांसी ने घेर लिया है, मेरी मदद करो। अपनी मुंह बोली बहन का पत्र पाकर नवाब अली बहादुर सानी 10 हजाार सैनिकों को लेकर झांसी पहुंचा और अंग्रेजी फौज को घेर कर उन पर हमला कर दिया। जिसमे कई अंग्रेज सैनिक मारे गए।
 
इतिहासकारों का मानना है कि महारानी लक्ष्मीबाई ने नवाब अली बहादुर के साथ मिलकर अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। युद्ध में रानी लक्ष्मीबाई मौत हो जाने पर नवाब ने उनका अंतिम संस्कार भी किया था। बाद में अंग्रेजों ने बांदा नवाब को कैद कर लिया था और महू की जेल में रखा था। इन्हें कुछ समय इंदौर में भी नजरबंद किया गया फिर यहां से बनारस भेज दिया गया था, जहां उनकी मृत्यु हो गई। बुंदेलखंड के बांदा और झांसी में कई हिंदू—मुसलमान लक्ष्मीबाई और नवाब अली बहादुर के भाई-बहन के रिश्ते की परंपरा को निभाते हुए हिंदू बहने मुसलमान भाइयों को आज भी राखी बांधती हैं।