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पत्नी, बेटे के साथ रामपुर से सीतापुर जेल भेजे गए आजम

 

 

लखनऊ। बेटे के फर्जी जन्म प्रमाणपत्र बनाने के मामले में बुधवार को रामपुर कोर्ट से न्यायिक हिरासत में जेल भेजे गए समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता और रामपुर से सांसद आजम खान, उनकी पत्नी डॉ. तजीन फात्मा और बेटे अब्दुल्ला आजम को कड़ी सुरक्षा के बीच आज सीतापुर जिला कारागार शिफ्ट कर दिया गया। रामपुर से उन्हें कड़ी सुरक्षा के बीच सुबह सीतापुर लाया गया। कानून व्यवस्था के मद्देनजर आजम को परिवार सहित सीतापुर जेल में रखा गया है।

इससे पहले बुधवार को ही अटकलें लगायी जा रही थी कि सुरक्षा कारणों की वजह से आजम, उनकी पत्नी और बेटे को रामपुर के बाहर किसी जेल में रखा जा सकता है। रामपुर के पुलिस अधीक्षक भी इसके पक्ष में थे।

उन्होंने कानून व्यवस्था बिगड़ने की आशंका के चलते तीनों को रामपुर जेल की जगह किसी अन्य जेल में रखे जाने की बात कही थी। हालांकि आईजी लॉ ऐंड आर्डर विजय भूषण ने जेल बदलने का प्रस्ताव से इनकार कर दिया था। उन्होंने कहा कि कोर्ट की तरफ से भी जेल बदलने पर कोई टिप्पणी नहीं की गई है, लेकिन इसके बाद शासन ने देर रात इस पर मंथन किया। वहीं रामपुर पुलिस ने भी रामपुर जेल में आजम के रहने से कानून व्यवस्था बिगड़ने का अंदेशा जताया। इसके बाद आजम को परिवार सहित दूसरी जेल में भेजे जाने का फैसला हुआ और उन्हें सीतापुर ले जाया गया। सीतापुर के जेल अधीक्षक डीसी मिश्रा के मुताबिक तीनों कड़ी सुरक्षा में जिला कारागार पहुंच चुके हैं। उन्हें यहां नियमानुसार रखा जाएगा।

इससे पहले बुधवार को कोर्ट के आदेश पर रामपुर पुलिस आजम खान, उनकी पत्नी डॉ. तजीन फात्मा और बेटे अब्दुल्ला आजम को रामपुर जिला कारागार लेकर पहुंची। बेटे के फर्जी जन्म प्रमाणपत्र बनाने के मामले में गैर जमानती वारंट जारी होने के बाद उन्होंने अपने कुनबे के साथ आत्समर्पण कर रामपुर की एडीजे 6 की कोर्ट में जमानत के लिए याचिका भी दाखिल की, लेकिन उनके अड़ियल रवैये को देखते हुए कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया और तीनों को 02 मार्च तक न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश दिया।

जेल में दाखिल होते समय भी हनक में दिखे आजम

वहीं जब आजम को कड़ी सुरक्षा के बीच रामपुर जेल ले जाया गया तो अन्दर दाखिल होते समय भी उनकी हनक देखी गई। जेल पुलिसकर्मी उनके हाथ जोड़ते नजर आए। आजम को मुकदमा अपराध संख्या 4/2019 में अंतर्गत धारा 420, 468, 468 जालसाजी में जेल भेजा गया है। आजम के वकील ने कहा है इस मामले में हाईकोर्ट में अपील करने की बात कही है।

बेटे को विधानसभा भेजने के लिए आजम ने तिकड़म का लिया सहारा

दरअसल बेटे अब्दुल्ला आजम को विधानसभा चुनाव लड़ाने के लिए आजम ने खूब तिकड़म की। 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान अबदुल्ला कम उम्र के कारण चुनाव नहीं लड़ सकते थे, लेकिन पुत्र मोह में आजम ने वह सब किया जो गैरकानूनी था। वह सत्ता के अपने रसूख का भी बेजा इस्तेमाल करने से भी बाज नहीं आए और बेटे को चुनाव लड़ाया। इसमें उसकी जीत भी हुई। आजम को लगा कि इसके बाद सब शान्त हो जाएगा, लेकिन इसी गलत हलफनामा देना परिवार को भारी पड़ गया।

पहले हाईकोर्ट फिर सुप्रीम कोर्ट से गलत ठहराया

हाईकोर्ट के बाद सर्वोच्च न्यायालय में भी आजम के दांवपेंच नहीं चले। सर्वोच्च न्यायालय ने अब्दुल्ला आजम को बड़ा झटका देते हुए निर्वाचन रद्द करने के हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह कहते हुए अब्दुल्ला आजम की विधायकी रद्द कर कर दी थी कि वर्ष 2017 में उनकी उम्र चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम निर्धारित 25 साल से कम थी। उन्होंने चुनाव आयोग को फर्जी और गलत दस्तावेज दिये थे।

एक बेटा दो जन्म प्रमाणपत्र, पासपोर्ट-पैन बनवाने में भी किया खेल

अब्दुल्ला के निर्वाचन को चुनौती देने वाले काजिम अली ने अपनी याचिका में कहा था कि अब्दुल्ला की वास्तविक जन्मतिथि 30 सितम्बर 1990 की बजाय 01 जनवरी 1993 है। इसके पक्ष में उन्होंने अब्दुल्ला के शैक्षणिक प्रमाण पत्र, पासपोर्ट और वीजा पर अंकित जन्म तिथि 01 जनवरी 1993 का हवाला दिया था। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अब्दुल्ला की मां के सर्विस रिकॉर्ड समेत उनकी जन्मतिथि से संबंधित समस्त दस्तावेज की जांच की थी, जिसमें अब्दुल्ला की जन्मतिथि 01 जनवरी 1993 ही पायी गई।

दरअसल अब्दुल्ला के रामपुर नगर पालिका से बनवाये गये जन्म प्रमाणपत्र में उनकी जन्मतिथि 01 जनवरी 1993 दर्शाई गई है। जबकि लखनऊ के अस्पताल से भी एक अन्य जन्म प्रमाणपत्र में उनकी जन्मतिथि 30 सितम्बर 1990 बतायी गई। इतना ही नहीं बाद में पासपोर्ट और पैन कार्ड में उम्र ठीक कराने के लिए भी दूसरा पासपोर्ट और दूसरा पैन कार्ड बनवा लिया।

कोर्ट में पेश होने के बजाय बचने पर लगाया पूरा जोर

भाजपा नेता आकाश सक्सेना ने 2019 में अब्दुल्ला के दो-दो जन्म प्रमाण पत्र बनवाने को लेकर एफआईआर दर्ज करायी थी। इसमें आजम खान और उनकी पत्नी डॉ. तजीन फात्मा को भी झूठे शपथ पत्र लगाने के कारण नामजद किया गया था। अदालत ने इस मामले में आजम के खिलाफ कुर्की के नोटिस जारी की। पुलिस ने इसके तहत आजम के रामपुर स्थित आवास पर दबिश दी। उनके नहीं मिलने पर घर के बाहर कुर्की की नोटिस चस्पा की गई। मुहल्ले में मुनादी से लेकर डुग्गी भी पिटवाई, लेकिन आजम कोर्ट में पेश होने से बचते रहे। इसके बाद मंगलवार को रामपुर की एमपी एमएलए स्पेशल कोर्ट ने तीनों के कुर्की वारंट के साथ ही गिरफ्तारी के लिए गैर जमानती वारंट भी जारी किए थे। इसके बाद सारे दांव पेंच नाकाम होने पर आजम को बुधवार को कोर्ट में आत्मसमर्पण करना पड़ा।