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जानिये शारदीय नवरात्रि के शुभ मुहूर्त एवं पूजा, कलश स्थापना विधि:- इस बार माँ का आगमन किस सवारी से हो रहा है?

शारदीय नवरात्रि इस वर्ष 29 सितंबर दिन रविवार से प्रारंभ हो रही है। इस बार शारदीय नवरात्रि 9 दिन की है। पहले दिन यानी 29 सितंबर को विधि विधान से घट या कलश स्थापना होगा।

उसके बाद से नवरात्रि के व्रत प्रारंभ होंगे। इन 9 दिनों में माता के 9 स्वरुपों की पूजा-अर्चना की जाएगी। इस बार दशहरा या विजयादशमी 08 अक्टूबर को है

शारदीय नवरात्र का इतिहास

हमारे शास्त्र के अनुसार भगवान राम ने सबसे पहले समुद्र के किनारे शारदीय नवरात्रों की पूजा की शुरूआत की थी. लगातार नौ दिन की पूजा के बाद भगवान राम ने लंका पर विजय प्राप्‍त करने के उद्देश्‍य से पूजा समाप्‍त कर आगे प्रस्‍थान किया था और भगवान राम को लंका पर विजय प्राप्ति भी हुई थी.
अतः किसी भी मनोकामना की पूर्ति हेतु माँ जगत जननी की पूजा कलश स्थापना संकल्प लेकर प्रारम्भ करने से कार्य अवश्य सिद्ध होंगे।

नवरात्र के नौ दिनों में मां दुर्गा का वाहन क्या होगा शास्त्रों में इसे लेकर एक नियम है…

‘शशिसूर्ये गजारूढ़ा शनिभौमे तुरंगमे।

गुरौ शुक्रे च दोलायां बुधे नौका प्रकी‌र्ति्तता।।’

इस बार नाव पर सवार होकर आएंगी मां दुर्गा

इसका अर्थ है कि नवरात्र का प्रारम्भ यदि रविवार या सोमवार को हो तो मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं। शनिवार और मंगलवार हो तो माता घोड़े पर सवार होकर आती हैं। गुरुवार और शुक्रवार हो तो माता पालकी में आती हैं और बुधवार को मां दुर्गा नाव पर सवार होकर आती है।

क्योंकि इस बार पहला नवरात्र रविवार से प्रारम्भ हो रहा है अतः इस बार माँ  हाथी पर सवार होकर आयेगी।

कलश स्थापना मुहूर्त

शारदीय नवरात्रि के शुभ मुहूर्त  एवं पूजा, कलश स्थापना विधि:- इस बार माँ का आगमन घोड़े पर हो रहा है ।
शारदीय नवरात्रि इस वर्ष 29 सितंबर दिन रविवार से प्रारंभ हो रही है। इस बार शारदीय नवरात्रि 9 दिन की है। पहले दिन यानी 29 सितंबर को विधि विधान से घट या कलश स्थापना होगा। उसके बाद से नवरात्रि के व्रत प्रारंभ होंगे। इन 9 दिनों में माता के 9 स्वरुपों की पूजा-अर्चना की जाएगी। इस बार दशहरा या विजयादशमी 08 अक्टूबर को है।

अखंड दीप जलाने का विशेष महत्व

दुर्गा सप्तशती के अनुसार नवरात्रि की अवधि में अखंड दीप जलाने का विशेष महत्व है। मान्यता है कि जिस घर में अखंड दीप जलता है वहां माता दुर्गा की विशेष कृपा होती है।

लेकिन अखंड दीप जलाने के कुछ नियम हैं, इसमें अखंड दीप जलाने वाले व्यक्ति को जमीन पर ही बिस्तर लगाकर सोना पड़ता है। किसी भी हाल में जोत बुझना नहीं चाहिए और इस दौरान घर में भी साफ सफाई का खास ध्यान रखा जाना चाहिए।

शारदीय नवरात्र‌ि में माँ दुर्गा नौ दिनों तक अपने भक्तों पर अपनी कृपा बरसाती हैं। नवरात्र के नौ दिनों में माता दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है।

नवरात्रि में नौ दिन कैसे करें नवदुर्गा साधना

माता दुर्गा के 9 रूपों का उल्लेख श्री दुर्गा-सप्तशती के कवच में है जिनकी साधना करने से भिन्न-भिन्न फल प्राप्त होते हैं। कई साधक अलग-अलग तिथियों को जिस देवी की साधना करते हैं, जैसे प्रतिपदा से नवमी तक क्रमश:-

(1) माता शैलपुत्री : प्रतिपदा के दिन इनका पूजन-जप किया जाता है। मूलाधार में ध्यान कर इनके मंत्र को जपते हैं। धन-धान्य-ऐश्वर्य, सौभाग्य-आरोग्य तथा मोक्ष के देने वाली माता मानी गई हैं। 

मंत्र – ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्यै नम:।’

(2) माता ब्रह्मचारिणी : स्वाधिष्ठान चक्र में ध्यान कर इनकी साधना की जाती है। संयम, तप, वैराग्य तथा विजय प्राप्ति की दायिका हैं।