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वास्तुकला और देव शिल्पी भगवान विश्वकर्मा की पूजा आज विश्वकर्मा पूजा

भगवान विश्वकर्मा को सबसे पहला इंजीनियर माना जाता है. इस दिन फैक्ट्रियों, संस्थानों, दुकानों में औजारों और मशीनों, कार्य में इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों की पूजा की जाती है. विश्वकर्मा की पूजा से व्यक्ति को कार्य में कुशलता और उन्नति का आशीर्वाद मिलता है. कारोबार में वृद्धि होती है.

जय- जय श्री भुवन विश्वकर्मा

कृपा करें श्री गुरुदेव सुधर्मां

श्री अरु विश्वकर्मा माहि

विज्ञानी कहें अंतर नाही

भगवान विश्वकर्मा के अद्भुत आर्किटेक्चर का आज भी नहीं कोई तोड़ नहीं है उन्होंने ही विश्व का मानतचित्र बनाया था. इतना ही नहीं सोने की लंका से लेकर द्वारिकापुरी तक थी बसाने का श्रेय भगवान विश्वकर्मा को ही है. उन्हें देवों के शिल्पी, संसार के पहले इंजीनियर वास्तुकला के ज्ञाता के रूप में जाना और पूजा जाता है. ब्रह्माजी ने भगवान विश्वकर्मा को सृष्टि का शिल्पीकार नियुक्त किया था. उन्होंने सबसे पहले इस सृष्टि का मानचित्र बनाया था.

स्वर्गलोक, इंद्रपुरी, कृष्ण भगवान की द्वारिका नगरी, सुदामापुरी, हस्तिनापुर, पांडवों का इंद्रप्रस्थ नगरी, गरूढ़भवन, कुबेरपुरी, यमपुरी, सोने की लंका जैसे कई नगर और स्थानों का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने ही किया. भगवान शिव और पार्वती के लिए सोने की लंका बनाई जो बाद में रावण की लंका बन गई. जब पार्वती ने शिव से कहा कि देवताओं की तरह हमारा भी कोई महल होना चाहिए. तब शिव ने विश्वकर्मा और कुबेर को बुलाकर समुद्र के बीच सोने का महल बनवाया पांडवों और कौरवों के बीच बंटवारे के बाद पांडवों को खांडव वन दे दिया गया जहां भगवान श्रीकृष्ण ने भगवान विश्वकर्मा का आह्वान कर इंद्रप्रस्थ बसाया.  इनको यंत्र, औजार, उपकरणों का देवता माना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस सृष्टि में निर्मित होनेवाली सभी वस्तुओं के मूल में भगवान विश्वकर्मा हैं. इस वर्ष विश्वकर्मा पूजा 17 सितंबर दिन शनिवार को है. इस दिन सूर्य की कन्या संक्रांति भी है.