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एआईएमपीएलबी अयोध्या मामले में दायर करेगा पुनर्विचार याचिका

 

लखनऊ। अयोध्या मामले में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के खिलाफ दिसम्बर के पहले सप्ताह में पुनर्विचार याचिका दायर करेगा।

पर्सनल लॉ बोर्ड की ओर से बुधवार को ट्वीट करके कहा ​गया कि हम अपने संवैधानिक अधिकार का इस्तेमाल करते हुए दिसम्बर के पहले हफ्ते में बाबरी केस में पुनर्विचार याचिका दायर करने जा रहे हैं। मामले को आगे बढ़ाने के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड का निर्णय कानूनी रूप से हमें प्रभावित नहीं करेगा। सभी मुस्लिम संगठन हमारे साथ हैं।

बोर्ड के सचिव जफरयाब जिलानी ने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड पुनर्विचार याचिका दाखिल नहीं करना चाहता है, लेकिन अगर एक भी पक्षकार पुनर्विचार याचिका दाखिल करने के पक्ष में हैं तो भारतीय संविधान उसे पूरा अधिकार देता है। जिलानी ने इससे पहले भी कहा था कि हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले से संतुष्ट नहीं हैं। हम इस फैसले को आखिरी फैसला नहीं मानते हैं।

एआईएमपीएलबी की बीते दिनों राजधानी में हुई बैठक में सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करने पर निर्णय किया गया था। इसमें मस्जिद के लिए पांच एकड़ भूमि दूसरी जगह लेने से भी इनकार कर दिया गया था। इसे शरीयत के खिलाफ बताया गया। जफरयाब जिलानी के मुताबिक तीन पक्षकारों मौलाना महफूजुर्रहमान, मोहम्मद उमर और मिसबाहुद्दीन की ओर से दी जाने वाली याचिकाओं की पैरोकारी ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड करेगा। जमीयत उलेमा-ए-हिंद की ओर से एक पुनर्विचार याचिका अलग से दाखिल होगी।

दूसरी ओर सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने फैसला किया है कि वह बाबरी मस्जिद-रामजन्म भूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ का फैसला मानेगा और इसके खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर नहीं करेगा। बोर्ड के चेयरमैन जुफर फारुकी के मुताबिक बोर्ड को सुप्रीम कोर्ट का फैसला मंजूर है लेकिन जमीन लिये जाने के बाबत सरकार का ऑफर आए तब उस पर अंतिम निर्णय किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सदस्यों को अपनी अंतिम राय देने में अभी और समय की जरूरत है इसलिए इस संबंध में जो भी निर्णय लिया जाएगा उसकी सूचना भी दे दी जाएगी। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली का कहना है कि सुन्नी वक्फ बोर्ड खुदमुख्तार इदारा है। वह इलेक्टेड बॉडी है। पुनर्विचार याचिका को लेकर उसे ही फैसला करना है।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की पीठ ने 09 नवम्बर को लम्बे समय से चले आ रहे इस विवाद को खत्म करते हुए विवादित जमीन रामलला को सौंप दी थी। इसके साथ ही सरकार को मुस्लिम पक्ष को मस्जिद बनाने के लिए अयोध्या में पांच एकड़ जमीन देने का निर्देश दिया था।