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आखिर क्यों रूस ने यूक्रेन पर किया हमला

रूस और यूक्रेन के बीच जंग के पीछे की वजह इस बार NATO को माना जा रहा है. NATO यानी North Atlantic Treaty Organization, जिसे साल 1949 में शुरू किया गया था. यूक्रेन NATO में शामिल होना चाहता है लेकिन रूस ऐसा नहीं चाहता.


रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia Ukraine War) अब तीसरे विश्व युद्ध (Third World War) की तरफ बढ़ता दिखाई दे रहा है. रूस ने अपने और यूक्रेन के बीच आने वालों को धमकी दी है तो वहीं, अमेरिका ने भी सख्त चेतावनी के साथ कहा है कि अंजाम बहुत बुरा होगा. रूस को कीमत चुकानी होगी. ब्रिटेन और दूसरे देश भी रूस के खिलाफ खड़े हैं. रूस और यूक्रेन के बीच जंग के पीछे की वजह इस बार NATO को माना जा रहा है. जिसे साल 1949 में शुरू किया गया था. यूक्रेन NATO में शामिल होना चाहता है लेकिन रूस ऐसा नहीं चाहता. यह जानना जरूरी है कि आखिर इस विवाद की जड़ क्या है? सोवियत संघ के जमाने में कभी मित्र रहे ये प्रांत दो देश बनने के बाद एक दूसरे के शत्रु क्यों बन गए हैं? आईये आपको बताते है

नवंबर 2013 में शुरू हुआ रूस और यूक्रेन के बीच तनाव

यूक्रेन की सीमा पश्चिम में यूरोप और पूर्व में रूस से जुड़ी है। 1991 तक यूक्रेन पूर्ववर्ती सोवियत संघ का हिस्सा था।
रूस और यूक्रेन के बीच तनाव नवंबर 2013 में तब शुरू हुआ जब यूक्रेन के तत्कालीन राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच का कीव में विरोध शुरू हुआ। जबकि उन्हें रूस का समर्थन था।

2014 में रूस ने दक्षिणी यूक्रेन के क्रीमिया पर किया कब्जा

यानुकोविच को अमेरिका-ब्रिटेन समर्थित प्रदर्शनकारियों के विरोध के कारण फरवरी 2014 में देश छोड़कर भागना पड़ा। इससे खफा होकर रूस ने दक्षिणी यूक्रेन के क्रीमिया पर कब्जा कर लिया। इसके बाद वहां के अलगाववादियों को समर्थन दिया। इन अलगाववादियों ने पूर्वी यूक्रेन के बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया।

2015 में रूस व यूक्रेन के बीच समझौते की पहल

2014 के बाद रूस व यूक्रेन में लगातार तनाव व टकराव को रोकने व शांति कायम कराने के लिए पश्चिमी देशों ने पहल की। फ्रांस और जर्मनी ने 2015 में बेलारूस की राजधानी मिन्स्क में दोनों के बीच शांति व संघर्ष विराम का समझौता कराया।

यूक्रेन ने NATO में शामिल होने की जताई इच्छा

हाल ही में यूक्रेन ने नाटो से करीबी व दोस्ती बढ़ाना शुरू किया। यूक्रेन के नाटो से अच्छे रिश्ते हैं। 1949 में तत्कालीन सोवियत संघ से निपटने के लिए नाटो यानी ‘उत्तर अटलांटिक संधि संगठन’ बनाया गया था। यूक्रेन की नाटो से करीबी रूस को नागवार गुजरने लगी। क्योंकि अमेरिका और ब्रिटेन समेत दुनिया के 30 देश नाटो के सदस्य हैं। यदि कोई देश किसी तीसरे देश पर हमला करता है तो नाटो के सभी सदस्य देश एकजुट होकर उसका मुकाबला करते हैं। रूस चाहता है कि नाटो अपना विस्तार न करे और यूक्रेन उसमे शामिल न हो। राष्ट्रपति पुतिन इसी मांग को लेकर यूक्रेन व पश्चिमी देशों पर दबाव डाल रहे थे।
क्योंकि यूक्रेन अगर नाटो में शामिल हो गया तो रशिया चौतरफा दुश्मनो से घिर जाएगा ।

25 फरवरी 2022 को रूस ने किया युद्ध का आगाज़

आखिरकार 25 फरवरी 2022 को यूक्रेन की मनमानी के चलते रूस ने अमेरिका और अन्य देशों की पाबंदियों की परवाह किए बगैर यूक्रेन पर हमला बोल दिया। फिलहाल अब तक तो नाटो, अमेरिका या किसी अन्य देश ने यूक्रेन के समर्थन में जंग में कूदने का एलान नहीं किया है। लेकिन वो यूक्रेन की परोक्ष रूप और हथियारों से मदद कर रहे हैं, ऐसे में कहना मुश्किल है कि यह जंग क्या मोड़ लेगी। यदि यूरोप के देशों या अमेरिका ने रूस के खिलाफ कोई सैन्य कार्रवाई की तो समूची दुनिया के लिए मुसीबत पैदा हो सकती है