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22 साल पहले दफन हुए शख्स का शव ज्यों की त्यों मिला

 

 

बांदा। जनपद में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है। यहां 22 साल पहले कब्र मे दफनाए गए एक शख्स का शव ज्यों कि त्यों निकला। मामला तब सामने आया जब मूसलाधार बारिश के चलते कब्रिस्तान में मिट्टी कटने से एक कब्र धंस गई और उसमें 22 साल पहले दफन एक शख्स का कफन में लिपटा जनाजा़ दिखने लगा। जब कफन में लिपटी शव को निकाला गया तो वह ज्यों का त्यों निकला। हालांकि शव को दोबारा दफन कर दिया गया। यह मामला अतर्रा रोड स्थित घसिला तालाब के कब्रिस्तान का है।

नसीर अहमद 55 वर्ष पुत्र अलाउद्दीन निवासी कोर्रही पेशे से नाई था। उसकी लगभग 22 वर्ष पूर्व मौत हुई थी। कब्रिस्तान पर कब्र बनाकर शव दफनाया गया था। जिसमें बुधवार को मूसलाधार बारिश के कारण पानी के बहाव के चलते कब्र धंस गई थी। जिसमें नसीर अहमद का जनाजा दिखाई दिया। जब लोगों ने देखा तो आसपास के लोगों को सूचना दी और मौके पर आकर देखा तो कब्र की पहचान नसीर अहमद पुत्र अलाउद्दीन निवासी कोर्रही के नाम से की गई। कब्र की मिट्टी कटने से जनाजा खुल गया था। लोगों ने देखा तो कब्रिस्तान कमेटी को जानकारी दी। इसके अलावा उन लोगों को जानकारी दी गई जिन्होनें शव को दफनाया था।

इस बारे में मौलाना अब्दुल जब्बार ने बताया कि मैं मुझे जानकारी मिली की एक कब्र में शव सही सलामत है। इस पर मैं मौके पर गया, जहां हजारों की भीड़ लगी थी। तब मैंने हकीकत जानने के लिए कब्र में जाकर देखा, शव के शरीर में पैर से लेकर सिर तक हाथ फेरा। शव पूरी तरह से सही सलामत था। मृतक का कोई बारिश जीवित नहीं हैं इसलिए शव को फिर दफन कर दिया गया।

मौलाना का मानना है कि शव दफन के बाद 6 माह के अंदर आमतौर पर खराब हो जाता है, हड्डियां गल जाती हैैं। उन्होंने बताया कि हमारे यहां शव दफन करते समय हर जनाजे के साथ अहदनामा (4-5 पन्ने की किताब) वहां रखी जाती है। 22 साल बाद भी मिट्टी में दफन इस किताब के पन्ने भी सही सलामत निकले हैं। कफन और शव भी सही सलामत मिलना वाकई आश्चर्य की बात है।