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आवश्यक सूचना: प्रदेश जागरण के सभी निर्गत परिचय पत्र निरस्त किये जा चुके हैं | अगस्त 2022 के बाद के मिलने या दिखने वाले परिचय पत्र फर्जी माने जाएंगे |

योगी सरकार के निर्देश के मुताबिक अगले कुछ दिनों में विभागवार समूह ‘क’ से लेकर समूह ‘घ’ तक के कुल पदों व नियुक्त कार्मिकों का ब्यौरा एकत्र करने का चलेगा अभियान

यूपी सरकार की नौकरियों में ओबीसी की 79 उपजातियों के हिसाब से कर्मचारियों की गिनती की जाएगी। अब सवाल उठ रहे हैं क्‍या भाजपा सरकार 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले ओबीसी आरक्षण को तीन हिस्‍सों में बांटकर सपा और बसपा की घेराबंदी के प्‍लान पर काम कर रही है? या फिर इसके पीछे कोई दूसरी रणनीति है। योगी सरकार के निर्देश के मुताबिक अगले कुछ दिनों में विभागवार समूह ‘क’ से लेकर समूह ‘घ’ तक के कुल पदों व नियुक्त कार्मिकों का ब्यौरा एकत्र करने का अभियान चलेगा। इसके लिए सभी विभागों के अपर मुख्य सचिवों को शासन ने पत्र भेज कर पूरा ब्यौरा मांगा है। इसके तहत पदों का विवरण संवर्गवार देना है। इसके बाद स्वीकृत पद, भरे गए पद, ओबीसी के लिए तय पद, ओबीसी से भरे गए पद, सामान्य श्रेणी में चयनित ओबीसी की संख्या, कुल भरे गए पदों के मुकाबले ओबीसी का प्रतिशत आदि की पूरी जानकारी देनी है।

पिछड़ा वर्ग की करीब 79 उपजातियां इसमें शामिल की गई हैं। जनवरी 2010 से मार्च 2020 तक विभिन्न विभागों में की गई कुल नियुक्तियों में चयनित अभ्यर्थियों का जातिवार विवरण सार्वजनिक उद्यम ब्यूरो ने सभी विभागों के अपर मुख्य सचिवों से मांगा है। इस सम्‍बन्‍ध में 83 विभागों में से 40 के अधिकारियों की एक बैठक 23 अगस्त को और बाकी विभागों के अधिकारियों की बैठक 24 अगस्त को बुलाई गई है। योगी सरकार के इस नए निर्देश से उत्‍तर प्रदेश की सरकारी नौकरियों में ओबीसी जातियों की स्थिति का पता चलेगा। किस जाति को आरक्षण का ज्‍यादा लाभ मिला और किसे कम ये बातें सार्वजनिक हो जाएंगी। जिन 10 वर्षों का आंकड़ा मांगा गया है उसमें दो साल सुश्री मायावती की अगुवाई वाली बीएसपी और पांच साल अखिलेश यादव की अगुवाई वाली सपा ने शासन किया है। योगी आदित्‍यनाथ सरकार के भी तीन साल शामिल हैं।