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महामारी पर एक संदेश, जौनपुर के उपपुलिस अधीक्षक जितेन्द्र दुबे के शब्दो में

बचपन में हम सबने दादा दादी से नाना नानी से कोई न कोई कहानी या किस्सा सुना होता हैं। इसको लेकर के यूपी के जौनपुर जिले के उपपुलिस अधीक्षक जितेन्द्र दुबे ने कुछ लाइनें लिखी है इन लाइनों को आपको पढ़ना चाहिए…

संदेश

बचपन में…..
दादा दादी से,
नाना नानी से,
किस्से सुने थे…..
महामारी औऱ उसके प्रकोप के…!
पुस्तकों में भी पढ़ी थी
कुछ कहानियाँ और निबन्ध
लिखे हुए….
पर लगता रहा कि….
ये निबन्ध और कहानियाँ
सब हैं बस गढ़े हुए….
हम जी रहे थे..
एक ऐसे दौर में..
जहाँ….!
न महामारी थी न इसके किस्से,
किस्से सुनाने वाली पीढ़ियाँ भी मौन थी….
तरक्की का बोझ भी इतना,
कि सुनने वाला भी कोई न था..
विकास की होड़ में,
भूल चुके थे उत्थान के चरण…
लेमार्कवाद डार्विनवाद के…
कहीं आगे…!
देशकाल और वातावरण से परे,
अनुभव और अनुभूति के पार
स्वयं को…!
अनन्त ऊचाइयों पर,
आसीन मानकर….
आत्ममुग्ध हो रहे थे…
ऐसे ही दौर में…..
आया कोरोना…..!
जो…
सबको…
आईना दिखा रहा है….
मानव बुद्धिमत्ता को,
मुँह चिढ़ा रहा है….
चाँद पर पहुँच चुके
मानव को….!
सभ्यता सिखा रहा है ….
इंटरनेट से पली-बढ़ी पीढ़ियों को,
जीने की कला बता रहा है …
भूली-बिसरी मान्यताओं को,
नया आयाम दे रहा है
और……!
एक ऐसी पीढ़ी,
तैयार कर रहा है….
जो फिर से….!
बचपन में किस्से सुनाएगी
प्रकृति के कोप से,
बचने का तरीका बताएगी…
विजयश्री कैसे मिलेगी,
राह उनको दिखाएगी…..
बचपन को बचपन का,
रिश्ते को रिश्ते का,
अहसास भी दिलाएगी…!!