संवाददाता
लखीमपुर-खीरी।
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सफाई अभियान की इससे ज्यादा दुर्गति क्या होगी कि एक शहर की पालिका में उन्हीं के पार्टी की एक वरिष्ठ पदाधिकारी बतौर अध्यक्ष विराजमान हो और वह शहर सफाई के टेस्ट में फेल हो जाए। जी हां! हम बात कर रहे हैं नगर पालिका परिषद लखीमपुर की। सफाई व्यवस्था को लेकर चलाए गए सर्वे में लखीमपुर को 434 शहरों में 410वां स्थान मिला यानी 100 में से सिर्फ पांच नंबर।
नगर पालिका लखीमपुर को विकास के नाम पर हर साल सरकार से भारी-भरकम बजट मिलता है। पालिका प्रशासन इसे खर्च कर व्यवस्थाओंं को दुरुस्त करने का दावा भी करता है। लेकिन हकीकत क्या है यह सर्वे रिपोर्ट के बाद पता चला। हाल ही में 434 शहरों में सफाई व्यवस्था को लेकर सर्वे कराया गया था। जब रिपोर्ट आई तो लखीमपुर की हकीकत सामने आई। इस शहर को देश के 434 बड़े शहरों में सफाई के मामले में 410वां स्थान मिला। यानी की सिर्फ 24 शहर ही गंदगी के मामले में लखीमपुर से पीछे हैं। अब भले ही पालिका प्रशासन इस सर्वे को कोई भी चोला ओढ़ाए लेकिन शहर में घूमने पर इसकी हकीकत खुद ब खुद सामने आ जाती है।
प्रति पालिकाध्यक्ष के कार्यकाल में करोड़ों रुपयों का बजट आता है। इस बजट का मुख्यत: प्रयोग नाली, सड़क के निर्माण और नालों की सफाई आदि के लिए किया जाता है। सड़क पर गंदगी न फैले इसके लिए हर साल कूड़ेदान खरीदे जाते हैं। फिर भी गंगोत्रीनगर जैसे कई मोहल्ले हैं जहां एक भी कूड़ेदान अभी तक नहीं रखा गया है। अब सोचने वाली बात है कि विकास के नाम पर करोड़ों खर्च भी हो चुके हैं और सफाई का रिजल्ट जीरो है।