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विस्फोटक स्थल पहुंची एटीएस और फारेंसिक लैब की टीमें

देव श्रीवास्तव

लखीमपुर खीरी:

गजरौरा में शुक्रवार को हुए विस्फोट की घटना के दूसरे दिन शनिवार को एटीएस और विधि विज्ञान प्रयोगशाला लखनऊ की टीमें यहां आ पहुंची। स्थानीय पुलिस के साथ एटीएस के एसपी उमेश श्रीवास्तव की अगुवाई में दोनों टीमों ने घटनास्थल का निरीक्षण किया और जांच पड़ताल का काम किया। आस पास के खेतों में भी निगरानी की गई और जो भी संदिग्ध चीज मिली उसे कब्जे में कर लिया गया। इससे पहले शुक्रवार को एटीएस एसपी ने लखीमपुर में इस घटना में घायल हुए किशोर और उसके परिवारीजनों से भी मुलाकात की थी। विस्फोट में 17 वर्षीय विमलेश पुत्र धर्मपाल की मौत हो चुकी है।

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एटीएस के एसपी ने मौके पर पत्रकारों को बताया कि घटना की सूचना मिलने के बाद ही हम सक्रिय हो गए थे। इलाका नेपाल बार्डर के करीब है,इसीलिए इसे गंभीरता से लिया जा रहा है। फिलहाल शुरूआती जांच पड़ताल में इस विस्फोट का किसी आतंकी संगठन या आतंकी गतिविधि से कोई लिंक नहीं मिला है। ग्रामीणों से पूछताछ की गई है। आस पास जंगली जानवरों की मौजूदगी और उनको भगाने के लिए विस्फोटक सामग्री के प्रयोग के बाबत भी टीम ने लोगों से जानकारी हासिल की। टीम ने यहां से जो सामग्री बरामद की और घटना के बाद पुलिस द्वारा मौके से मिले शीशे के टुकड़ों, रस्सी आदि को कब्जे में ले लिया गया है। उसकी विस्तृत जांच लैब में की जाएगी, जिसके बाद ही आगे कुछ स्पष्ट पता चल सकेगा। जांच टीम में फिंगर प्रिंट एक्सपर्ट अमित अवस्थी, विधि विज्ञान प्रयोगशाला लखनऊ के डा. मनोज वर्मा, श्याम सुंदर सिंह, फौरेंसिक लैब लखीमपुर प्रभारी विमल कुमार श्रीवास्तव आदि शामिल रहे। उनकी मदद के लिए सीओ जितेंद्र गिरि, एसओ वीके सिंह, एसएसआई अरविंद शुक्ला भी मुस्तैद रहे। घटना के दूसरे दिन भी गांव में दहशत का माहौल साफ देखने को मिला।
 विस्फोट में घायल किशोर अरूण कुमार को इलाज के लिए जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जहां से शनिवार को हालत में सुधार न होने के मद्देनजर उसे लखनऊ रेफर कर दिया गया। विस्फोट के चलते उसके हाथ पैर और चेहरे पर गंभीर घाव हुए हैं। इस वजह से वह कुछ भी बोलने की स्थिति में नहीं है। एटीएस भी उस पर नजर रख रही है, हालत में सुधार होने के बाद उसके बयान काफी महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं। क्योंकि एक वही है जो घटना को सही तरीके से बयां कर सकता है।

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