कहते हैं आस्था में वह शक्ति होती है जो हर कठिन परिस्थिति के बावजूद भक्त को भगवान के पास ले जाती है. यही वजह है कि देश में कई धार्मिक स्थलों की मुश्किल यात्रा के लिए हर साल लाखों श्रद्धालु उमड़ते हैं. अमरनाथ यात्रा भी इन्हीं में से एक है. जानते हैं यह भारत के सबसे दुर्गम तीर्थस्थानों में से एक है. पूरा कैलाश पर्वत 48 किलोमीटर में फैला हुआ है और इसकी ऊंचाई समुद्र तल से लगभग 4556 मीटर है. इस यात्रा का सबसे अधिक कठिन मार्ग भारत के पड़ोसी देश चीन से होकर जाता है. इस यात्रा के बारे में कहा जाता है कि वहां वे ही लोग जा पाते हैं, जिन्हें भोले बाबा स्वयं बुलाते हैं. यह यात्रा 28 दिन की होती है.
अमरनाथ भी बेहद दुर्गम तीर्थस्थलों में से एक है और यह श्रीनगर शहर के उत्तर-पूर्व में 135 किलोमीटर दूर यह तीर्थस्थल समुद्रतल से 13600 फुट की ऊंचाई पर स्थित है. यहां तापमान अक्सर शून्य से चला जाता है और बारिश, भूस्खलन कभी भी हो सकते हैं. सुरक्षा की दृष्टि से बेहद संवेदनशील और संदिग्ध मानी जाने वाली यात्रा के लिए पहले रजिस्ट्रशेन कराना होता है. बीमार और कमजोर यात्री अक्सर इस यात्रा से लौटा दिए जाते हैं. वैष्णो देवी जम्मू-कश्मीर के कटरा जिले में स्थित हिंदुओं का प्रमुख तीर्थ स्थल है. यह मंदिर 5,200 फ़ीट की ऊंचाई और कटरा से लगभग 12 किलोमीटर (7.45 मील) की दूरी पर मौजूद है. माता के मंदिर में जाने की यात्रा बेहद दुर्गम है. कटरा से 14 किमी की खड़ी चढ़ाई पर मां वैष्णोदवी की गुफा है. हालांकि अब हेलीकॉप्टर से भी आप यहां पहुंच सकते हैं.
गुजरात की प्राचीन राजधानी चंपारण के पास स्थित पावागढ़ मंदिर वडोदरा शहर से लगभग 50 किलोमीटर दूर और ऊंची पहाड़ी की चोटी पर स्थित है. काफी ऊंचाई पर बने इस दुर्गम मंदिर की चढ़ाई बेहद कठिन है. अब सरकार ने यहां रोप-वे सुविधा उपलब्ध करवा दी है.
हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में शिवालिक पर्वत श्रेणी की पहाड़ियो पर स्थित है मां नैनादेवी देवी का मंदिर है. यह देवी के 51 शक्ति पीठों में शामिल है. हेमकुंड साहेब सिखों का पावनधाम है. यहां पहुंचने की यात्रा बहुत ही दुर्गम है. यह तकरीबन 19 किलोमीटर की पहाड़ी यात्रा है. पैदल या खच्चरों पर पूरी होने वाली यात्रा में जान का जोखिम भी होता है.