आचार संहिता के दौरान बैंकों का पैसा इधर से उधर ले जाने के लिए जरूरी नियमों का पालन होता कम दिख रहा है। अब तक मिले चंद उदाहरणों से समझा जा सकता है कि कैश ले जाने में निश्चित वाहन का इस्तेमाल नहीं होता। कई बार रकम और उसके भेजने के स्थानों का स्पष्ट विवरण नहीं मिलता। कैश वैन के लोगों के पास अधिकृत परिचय पत्र तक नहीं होते हैं।
उल्लेखनीय है कि नोटबंदी के दौरान बैंक मैनेजरों को एक छूट दी गई थी कि जल्द पैसा पहुंचाने के लिए वे सुरक्षा का ध्यान रखते हुए किसी भी वाहन का इस्तेमाल कर सकते है। अब नोटबंदी के बाद के 50 दिन गुजर गए। नया साल आ गया। चुनाव घोषित हो गए। आचार संहिता लग गई लेकिन, बैंक अब तक आठ नवंबर के बाद के ढर्रे पर है। वे अब आचार संहिता तोड़ रहे है। दो-तीन दिनों के भीतर बाराबंकी, लखनऊ, कानपुर और कई अन्य जगहों पर वाहनों की जांच के दौरान 15 करोड़ रुपये से अधिक की ऐसी रकम बरामद की गई, जो बैंकों की थी और एक से दूसरी शाखा में ले जाई जा रही थी। रकम ले जाने का तरीका वही था, जिसके लिए बैकों को नोटबंदी के बाद की आपात स्थिति के दौरान छूट दी गई थी लेकिन, अब समय वो नहीं था। आचार संहिता लागू होने के बाद पैसा लाने-ले जाने के नियम बदल गए है पर बैंक अधिकारी अभी इसे नहीं समझ पा रहे। वे अब भी निजी वाहनों से बिना पर्याप्त कागजात साथ लिए बैंक का पैसा इधर से उधर कर रहे है।
यह नियम
- आचार संहिता के दौरान बैंकों का पैसा इधर से उधर ले जाने के लिए जरूरी नियम
- कैश रफ्तनी में निश्चित वाहन और उसका इस्तेमाल किसी अन्य रकम के लेनदेन में न हो।
- कितनी रकम के कितने नोट और गंतव्य का का स्पष्ट विवरण होना चाहिए।
- कैश वैन में जो लोग सवार हों, सबके पास अधिकृत परिचय पत्र होना चाहिए।
बैंकों को हिदायत
स्टेट लेवल बैंकर्स कमेटी (एसएलबीसी) के प्रमुख बीएस ढाका बताते है कि इंडियन बैंकर्स एसोसिएशन की ओर से बैंकों को निर्धारित मानकों का पालन करने के निर्देश जारी किए है। एसएलबीसी ने भी बैंकों को हिदायत दी है। उधर आयकर के उप निदेशक (जांच) जयनाथ वर्मा ने भी बैंक अधिकारियों से अपील की है कि असुविधा से बचने के लिए वे नकदी को नियमानुसार ही लाएं और ले जाएं। चुनाव आयोग से भी बैंकों को निर्देश दिए गए है।