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यूं फिल्मों में आए दिलीप कुमार

नई दिल्ली। सिनेमा जगत के सुप्रसिद्ध अभिनेता दिलीप कुमार का 98 साल की उम्र में निधन हो गया। बुधवार सुबह करीब 7.30 बजे मुंबई के एक अस्पताल में दिलीप कुमार ने अंतिम सांस ली। उनके जाने से हिंदी सिनेमा के एक युग का अंत हो गया है। इस दुख की घड़ी में बॉलीवुड समेत पूरे देश में शोक की लहर है। आज शाम 4 बजे दिलीप कुमार को मुंबई के जुहू कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा। अस्पताल से दिलीप कुमार का पार्थिव शरीर उनके घर पहुंच गया है। यहां दिग्गज अभिनेता को अंतिम विदाई देने के लिए सेलेब्स पहुंच रहे हैं।

दिलीप कुमार अब हमारे बीच नहीं हैं लेकिन अपने बेहतरीन अभिनय के लिये वो हमारे दिलों में हमेशा ज़िंदा रहेंगे।। तो चलिए उनके जीवन से जुड़े कुछ बेहतरीन फिल्मों के किरदारों को करीब से जानते हैं, जो हमेशा के लिए अमर हो गए। साथ ही फिल्मों में आने के उनके किस्से से भी पर्दा उठाते हैं।

दिलीप कुमार के फिल्मों में निभाए गए किरदारों की एक पूरी फेहरिस्त है जिन्हें उन्होंने पूरी शिद्दत से जिया। वह चाहे फिल्म मुगले आजम में शहंशाह पिता से बगावत करने वाला इश्कजादा सलीम हो या फिर पारो के प्रेम में कुर्बान हो जाने वाला देवदास। दिलीप कुमार के किरदार कालजयी रहेंगे। 63 फिल्मों में अभिनय करने वाले दिलीप कुमार के ये किरदार हमेशा ताकीद करते रहेंगे कि वो कितने बड़े कलाकार थे। ये अजीब संयोग है कि दिलीप कुमार और उनके खानदान का अभियन से दूर-दूर तक कोई नाता नहीं था।

11 दिसम्बर 1922 को पाकिस्तान के पेशावर शहर में पैदा हुए दिलीप कुमार का असली नाम मोहम्मद यूसुफ खान है। पिता गुलाम सरवर का फलों का कारोबार था। 1930 के दशक में दिलीप कुमार का परिवार मुंबई और फिर पुणे में बसा। शूटिंग के सेट पर अभिनेत्री देविका रानी की दिलीप कुमार से मुलाकात हुई। देविका रानी बाम्बे टॉकीज के मालिक हिमांशु राय की पत्नी थीं। देविका रानी ने दिलीप कुमार को ऑफर दिया और वो एक्टिंग में आ गए।

देविका रानी उस वक्त हिन्दी सिनेमा की बड़ी हस्ती थीं। उन्होंने दिलीप कुमार से सिर्फ इतना पूछा क्या आप उर्दू जानते हैं। दिलीप कुमार ने हामी भरी। जिसके बाद हिन्दी सिनेमा का पूरा आयाम ही बदल गया। देविका रानी ने ही यूसुफ खान को दिलीप कुमार बनाया। तब हिन्दी कवि नरेन्द्र शर्मा ने तीन नाम सुझाए… जहांगीर, वासुदेव और दिलीप कुमार। इनमें दिलीप कुमार पर सहमति बन गई क्योंकि उन्हें लगता था इस नाम से उनके पिता पहचान नहीं पायेंगे। दिलीप कुमार ने 1944 में फिल्म ज्वार भाटा से ​अभिनय के सफर की शुरुआत की। कारवां बढ़ता गया, मंजिले बनती गईं। दिलीप कुमार आगे निकलले गए और कामयाबी की बुलंदियों पर चढ़ते गए।

दिलीप कुमार की यादगार फिल्में

दिलीप कुमार ने मुगले आजम, नया दौर, देवदास, अंदाज, आजाद, यहूदी, मुधुमती, गंगा जमुना, पैगाम, दिल दिया दर्द लिया, राम और श्याम, आदमी, संघर्ष, गोपी, बैराग, क्रांति, मशाल, धर्म अधिकारी, कर्मा, शक्ति, कानून अपना अपना, सौदागर, विधाता समेत एक से बढ़कर एक फिल्मों में अपने दमदार अभिनय का लोहा मनवाया।

दिलीप कुमार ने अभिनय की पूरी परंपरा ही बदल दी। उन्होंने अभियन का अपना अंदाज कायम किया। उस दौर के तीन सुपरस्टार थे राजकपूर, देवानन्द और दिलीप कुमार लेकिन आज भी माना यही जाता है कि दिलीप कुमार जैसा रेंज किसी के पास नहीं था।

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