Breaking News

आवश्यक सूचना: प्रदेश जागरण के सभी निर्गत परिचय पत्र निरस्त किये जा चुके हैं | अगस्त 2022 के बाद के मिलने या दिखने वाले परिचय पत्र फर्जी माने जाएंगे |

मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा- कांग्रेसी हार के लिए भी रहें तैयार

harish-rawat_650x400_81462515423देहरादून : सूबे की सियासत के ‘बाहुबली’ हरदा का भरोसा क्या डोल रहा है? मतदान के बाद से ही राज्य में कांग्रेस को पूर्ण बहुमत का दावा कर रहे मुख्यमंत्री हरीश रावत ने तकरीबन दस दिन बाद शनिवार को कार्यकर्ताओं से हार या जीत के लिए तैयार रहने को कहा। साथ में सफाई के अंदाज में उन्होंने इस चुनाव में पार्टी के पास संसाधनों की कमी और पोस्टर-बैनर छपवाने के लिए पैसा नहीं होने का जिक्र तक कर डाला। 
इसे उड़ीसा और फिर महाराष्ट्र के निकाय चुनावों में शहरों से लेकर गांवों तक भाजपा को मिली जीत का असर कहें या मोदी मैजिक या मतदाताओं की चुप्पी का रहस्य दस दिनों बाद भी सुलझा नहीं पाने की बेचैनी या सत्तारूढ़ दल और विपक्ष के बढ़े-चढ़े दावों के बीच विनम्र होने की सियासी अदा, हरदा के इस बदले रक्षात्मक रुख के निहितार्थ तलाश किए जा रहे हैं। फिलहाल इसे लेकर सबसे ज्यादा बेचैनी कांग्रेसी हलकों में देखी जा रही है। 

राज्य में उत्‍तराखंड विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद से मुख्यमंत्री हरीश रावत ने अपना एक-एक कदम नपे-तुले अंदाज में मजबूती के साथ आगे बढ़ाया। चुनाव में विपक्ष खासतौर पर भाजपा को शिकस्त देने के लिए कांग्रेस के ‘पोस्टर ब्वॉय’ बने हरीश रावत ने प्रदेशभर में प्रत्याशियों के चयन, आक्रामक चुनाव प्रचार समेत जिसतरह विभिन्न स्तरों पर फील्डिंग सजाई, उसका ही नतीजा है कि मतदान के बाद से अब तक कांग्रेस का मनोबल काफी ऊंचा बना हुआ है। ऐसे में मतदान के दस दिन बाद मुख्यमंत्री का विश्वास डगमगाता नजर आ रहा है तो इससे कांग्रेस कार्यकर्ता हैरत में हैं। 

प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय राजीव भवन में शनिवार को मुख्यमंत्री हरीश रावत जिस अंदाज में पार्टी कार्यकर्ताओं खासकर महिला कार्यकर्ताओं से मुखातिब हुए, उससे कांग्रेस के भीतर और बाहर नई चर्चा तेज हो गई है।  चुनावी नतीजों पर मुख्यमंत्री ने कार्यकर्ताओं से अपील की कि वे हार व जीत दोनों नतीजों के लिए तैयार रहें। नतीजे सिर्फ हमारी जिम्मेदारी तय करेंगे कि हम पक्ष में रहें या विपक्ष में। एक राजनीतिक दल के तौर पर हमें अपनी भूमिका के लिए तैयार रहना है। जिन्होंने कांग्रेस को वोट दिया या जिन्होंने नहीं दिया, उनके पास कार्यकर्ताओं को पहुंचना होगा।
मुख्यमंत्री ने ये भी कहा कि इस चुनाव में कांग्रेस के पास होर्डिंग, बैनर तक छपवाने के लिए पैसे नहीं थे। यहां तक कि पार्टी अपने प्रत्याशियों का बजट के अभाव में प्रचार-प्रसार भी नहीं कर पाई। बावजूद इसके कार्यकर्ताओं ने एकजुटता दिखाई है। भाजपा के पूर्ण बहुमत मिलने के दावे पर पर यह कहते हुए उन्होंने तंज कसा कि बड़े दावे करना भाजपा का काम है। 
भाजपा पर विद्वेष की राजनीति करने की तोहमत मढ़ते हुए उन्होंने कहा कि इससे चुनाव तो जीता जा सकता है, लेकिन प्रदेश को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता। मुख्यमंत्री के इस बयान को भाजपा को बढ़त मिलने की कांग्रेस की आशंका के तौर देखा जाने लगा है। दरअसल, कांग्रेस ने प्रदेश में राहुल की शैली में कदम आगे बढ़ाते हुए नोटबंदी को मुद्दा बनाया तो हरीश रावत सरकार की विकास की लुभावनी योजनाओं को मतदाताओं के आगे रखने में कसर नहीं छोड़ी। 
पहले उड़ीसा और अब महाराष्ट्र के निकाय चुनावों के नतीजों ने यह साबित कर दिया है कि नोटबंदी को लेकर मोदी सरकार या भाजपा के खिलाफ मुहिम का जनता पर असर नहीं पड़ा है। ऐसे में भाजपा और उसके स्टार प्रचारक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पटखनी देने के लिए सोशल मीडिया में बाहुबली के तौर पर प्रचारित किए गए हरीश रावत का विश्वास डोलने की वजह को भी खंगाला जा रहा है। हालांकि, सियासी जानकार इसे भी हरदा का दांव ही मान रहे हैं।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published.