गौरतलब है कि जयललिता की मौत पर अपोलो अस्पताल की तरफ से इलाज का ब्यौरा जारी की गई थी। उधर डीएमके के कार्यकारी अध्यक्ष एमके स्टालिन ने अपोलो अस्पताल के इलाज ब्यौरे (ट्रीटमेंट सम्मरी) और एम्स की रिपोर्ट में विसंगति बताते हुए सवाल उठाया है।
उन्होंने कहा कि 25 सितंबर को अपोलो अस्पताल ने जो मेडिकल बुलेटिन जारी किया था उसमें कहा गया था कि जयललिता को तेज बुखार और पाचन की समस्या के चलते अस्पताल में दाखिल कराया गया था। उसमें कहा गया कि वह कुछ दिन अस्पताल में रहेंगी उसके बाद वह अपने आवास जा सकती हैं। लेकिन, एम्स के बयान के मुताबिक, जब जयललिता को 22 सितंबर को अस्पताल लाया गया था तब वह बेहोश थीं और लाइफ सपोर्ट पर रखा गया था।
पीएमके संस्थापक डॉक्टर एस. रामदोस भी जयललिता के अस्पताल में भर्ती कराए जाने और उसकी मौत पर सवाल उठा चुके हैं। एक बयान में रामदोस ने कहा कि लोग यह जानना चाहते हैं कि कैसे कोई गंभीर बीमार होने के बावजूद उप-चुनाव को लेकर पार्टी उम्मीदवार के नॉमिनेशन पेपर पर अपना अंगूठे का निशान लगा सकता है।