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बेटे संग सो रही महिला की गोली मारकर हत्या

देव श्रीवास्तव
निघासन-खीरी।
थाना क्षेत्र के गांव गंगापुरवा में शनिवार की रात घर के भीतर अपने बेटे के साथ सो रही एक अधेड़ महिला की गोली मारकर हत्या कर दी गई। गोली की आवाज सुनकर आस-पास सो रहे परिवार के अन्य सदस्यों के जाग जाने पर हमलावर वहां से फरार हो गए। बेटी ने मृतका की जेठानी और उसके बेटे के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कराया। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा है।

भाई पर हत्या की आशंका 

घटना के पीछे मृतका के पति का अपने बड़े भाई की हत्या करने का मामला बताया जा रहा है। भाई की हत्या के मामले में मृतका का पति अभी भी जेल में बंद है। जबकि उसके बेटे करीब साल भर पहले जमानत पर छूटकर आए थे। खूनी संघर्ष के पीछे जमीनी का विवाद होने की चर्चाएं हैं।

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निघासन कोतवाली के गांव गंगापुरवा मजरा खैरहना निवासी कैलाशचंद्र और उसके भाई स्व. रामजीवन के घर आसपास हैं। रामजीवन की दे में चारपाई पर सोई थी। उसके पड़ोस में पड़ी चारपाइयों पर उसका सोलह साल का बेटा अंकित और बेटियां गीता व शालिनी सोई हुई थीं। रात करीब ढाई बजे उनके घर की दक्षिणी दीवार में लगे दरवाजे के पास से दीवार फांदकर अंदर घुसे लोगों ने तीन सौ पंद्रह बोर के तमंचे से कांतीदेवी के पेट में पसलियों के नीचे सटाकर गोली मार दी। इससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। गोली की आवाज सुनकर पास में सो रहे कांतीदेवी के बेटे-बेटियां जाग गए। उनका कहना था कि उनको उठता देखकर हमलावर मकान के उत्तरी दरवाजे को खोलकर निकलते हुए भाग गए। उन्होंने गोली मारने वाले की पहचान अपने ताऊ स्व. रामजीवन के बेटे सतीश और उसकी मां कोकिला के रूप में की है। गोली की आवाज से आसपास के लोग भी जाग गए।

पुराना है खेत का विवाद 

सूचना पर  मौके पर पहुंची पुलिस ने चारपाई पर कांतीदेवी की लाश के पास ही तीन सौ पंद्रह बोर का एक खोखा कारतूस भी बरामद हुआ। पुलिस ने गीतादेवी की तहरीर पर सतीश और कोकिला के खिलाफ घर में घुसकर हत्या का मुकदमा दर्ज करते हुए लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेजा है। तहरीर में पंद्रह दिन पहले भी मां को मारने की साजिश रचने का आरोप लगाया गया है। बताया जाता है कि रामजीवन और कैलाश के बीच खेत की मेड़ को लेकर काफी दिनों से विवाद चला आ रहा था।16 फरवरी 2015 को रामजीवन और उसका बेटा सतीश अपने खेत में गन्ना काटने गए थे। बताया जाता है कि पड़ोस में उसके भाई कैलाश के खेत में कांतीदेवी और उसकी बेटी गंगोत्री मौजूद थे। इसी बीच दोनों पक्षों के बीच मेड़ को लेकर झगड़ा होने लगा। आरोप है कि इसी दौरान सीने में बगौड़ी लगने से रामजीवन की मौत हो गई। इसमें रामजीवन के बेटे सतीश ने अपने चाचा कैलाश, चाची कांतीदेवी और उनके नाबालिग बेटे अंकित के खिलाफ हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इनमें से कांतीदेवी और अंकित को करीब साल भर पहले जमानत मिल गई थी जबकि कैलाश अभी जेल में है। आशंका जताई जाती है कि इसका बदला लेने को ही कांतीदेवी की हत्या कर दी गई।

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