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पंजाब में बिजली कटौती के बीच सिद्धू ने फिर साधा अपनी ही सरकार पर निशाना

नई दिल्ली। कांग्रेस विधायक नवजोत सिंह सिद्धू की गुरुवार को राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के साथ हुई मुलाकात के बाद भी पंजाब में सियासी उठापटक शांत नहीं हो रही है। सिद्धू ने सूबे में बिजली कटौती को लेकर एक के बाद एक पांच ट्वीट करके अपनी ही सरकार को एक बार फिर कठघरे में खड़ा कर दिया है। सिद्धू ने निजी थर्मल प्लांटस के साथ किए गए समझौतों को लेकर कोई फैसला ना लेने पर कैप्टन सरकार की कड़ी आलोचना की है।

भीषण गर्मी के दौरान पंजाब में बिजली की मांग 14,000 मेगावाट प्रतिदिन को पार कर गई है, जबकि इस समय सप्लाई करीब 12,000 मेगावाट प्रतिदिन ही हो रही है। इस वजह से बिजली आपूर्ति करने वाली पंजाब स्टेट पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (पीएसपीसीएल) को बिजली कटौती और उद्योगों पर प्रतिबंध लगाने के लिए मजबूर होना पड़ा है।

सिद्धू ने समझाया गणित

इस मुद्दे पर सिद्धू ने पांच ट्वीट किए, जिनमें उन्होंने लिखा, “बिजली की लागत, कटौती, बिजली खरीद समझौते और पंजाब के लोगों को मुफ्त और 24 घंटे बिजली देने की हकीकत क्या है। अगर हम इस पर सही दिशा में करते हैं तो राज्य में बिजली कटौती की नौबत ही नहीं आएगी, और ना ही मुख्यमंत्री को कार्यालयों और जनता के लिए एयर कंडीशनर्स के इस्तेमाल के समय को नियंत्रित करने को लेकर कोई नियम लाने की जरूरत पड़ेगी। बिजली खरीद की कीमत पर सिद्धू ने दावा किया कि पंजाब औसतन 4.54 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीद रहा है जबकि राष्ट्रीय औसत 3.85 रुपये प्रति यूनिट है। चंडीगढ़ 3.44 रुपये प्रति यूनिट का भुगतान कर रहा है। 3 निजी थर्मल प्लांट्स पर पंजाब की अधिक निर्भरता के कारण राज्य अन्य राज्यों की तुलना में 5-8 प्रति यूनिट अधिक भुगतान करता है।

पेश किया पंजाब मॉडल

बिजली के लिए पंजाब मॉडल पेश करते हुए उन्होंने कहा कि निजी बिजली संयंत्रों को अनुचित और अधिक फायदा देने पर खर्च होने वाले पैसे का इस्तेमाल जनकल्याण कार्यों में किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि घरेलू उपयोग के लिए मुफ्त बिजली के लिए सब्सिडी (300 यूनिट तक), 24 घंटे आपूर्ति और शिक्षा एवं स्वास्थ्य संबंधी सेवाओं में निवेश करना ही पंजाब के लिए बेहतर बिजली मॉडल है। सिद्धू ने आगे लिखा, “बिजली खरीद और आपूर्ति प्रणाली के कुप्रबंधन के कारण पंजाब में प्रति यूनिट खपत का राजस्व भारत में सबसे कम है। पीएसपीसीएल आपूर्ति की गई प्रत्येक यूनिट पर 0.18 प्रति यूनिट की अतिरिक्त राशि का भुगतान करती है। यह तब है जब राज्य में 900 करोड़ रुपये से अधिक की सब्सिडी दी जाती है। पर्यावरण के अनुकूल होने के साथ-साथ अक्षय ऊर्जा सस्ती होती जा रही है। इन परियोजनाओं के लिए केंद्रीय वित्तीय योजनाओं का लाभ उठाया जा सकता है लेकिन सौर और बायोमास ऊर्जा को लेकर पंजाब की क्षमता अनुपयोगी है।”

बादल सरकार पर लगाया आरोप

सिद्धू ने आरोप लगाया कि बादल सरकार ने पंजाब में 3 निजी थर्मल संयंत्रों के साथ बिजली खरीद समझौते (पीपीए) पर हस्ताक्षर किए। इन समझौतों में गलत शर्तों के कारण पंजाब 2020 तक पहले ही 5,400 करोड़ रुपये का अतिरिक्त भुगतान कर चुका है और आगे फिक्स चार्ज के रूप में 65,000 करोड़ रुपये का भुगतान किया जाएगा। उन्होंने कहा कि पंजाब नेशनल ग्रिड से बहुत सस्ती दरों पर बिजली खरीद सकता है लेकिन बादल के हस्ताक्षर वाले ये पीपीए पंजाब के जनहित के खिलाफ काम कर रहे हैं। कानूनी पेचीदगी के कारण पंजाब इन पीपीए पर फिर से बातचीत नहीं कर सकता लेकिन पंजाब विधानसभा किसी भी समय नेशनल पावर एक्सचेंज पर उपलब्ध कीमतों पर बिजली खरीद की लागत के लिए एक नया कानून तो ला सकती है। कानून में संशोधन के बाद ये समझौते खत्म हो जाएंगे।”

दिल्ली मॉडल पर उठाए सवाल

अरविंद केजरीवाल के पंजाब में दिल्ली का बिजली मॉडल को लागू करने के बारे में भी सिद्धू ने ट्वीट किया। सिद्धू ने लिखा, “पंजाब के लोगों को बेहतर सेवाएं देने के लिए पंजाब को एक मूल पंजाब मॉडल की जरूरत है, न कि कॉपी मॉडल की। पंजाब 9,000 करोड़ रुपये की बिजली सब्सिडी देता है लेकिन दिल्ली बिजली सब्सिडी के रूप में केवल 1,699 करोड़ रुपये का ही भुगतान करती है। अगर पंजाब दिल्ली मॉडल का अनुकरण करता है, तो हमें सब्सिडी में केवल 1,600-2,000 करोड़ रुपये ही मिलेंगे।”

उल्लेखनीय है कि लंबे समय से पंजाब कांग्रेस में चल रही खींचतान दिल्ली दरबार पहुंची थी, जिसके बाद मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह समेत कई मंत्रियों और विधायकों ने हाईकमान के सामने हाजिरी लगवाई थी। नवजोत सिंह सिद्धू ने बीते गुरुवार को ही राहुल गांधी और प्रियंका से मुलाकात की है, जिसके बाद जल्द ही कैप्टन और उनके बीच की तकरार खत्म होने के कयास लगाए जा रहे थे। इसके विपरीत सिद्धू के इन ट्वीट्स ने इस भीषण गर्मी के मौसम में एक बार फिर से पंजाब की सियासत में उबाल ला दिया है। दूसरी तरफ सूत्रों के हवाले से यह भी खबर सामने आ रही है कि हाईकमान सिद्धू को पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंप सकता है। अगर ऐसा होता है तो आने वाले दिनों में कैप्टन-सिद्धू की तकरार शांत होने के बजाय फिर से शिखर पर पहुंच सकती है।

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