नई दिल्ली। चलती रेल को बर्निंग ट्रेन बनाने की साजिश मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने उक्त मामले में दो और आरोपितों को गिरफ्तार किया है। दिल्ली मुख्यालय से एनआईए की प्रवक्ता एसपी जया रॉय ने बताया कि आरोपितों की पहचान मोहम्मद सलीम अहमद उर्फ हाजी सलीम और कफील के रूप में हुई है, दोनों उत्तर प्रदेश के जिला शामली गांव कैराना के रहने वाले है। शुरूआती जांच में पता चला है कि गिरफ्तार आरोपित मोहम्मद सलीम अहमद और काफिल इस मामले में प्रमुख साजिशकर्ता हैं।
आरोपितों ने फरवरी 2021 में हाजी सलीम के आवास पर मुलाकात की और चलती ट्रेन में आईईडी लगाने की योजना को अंतिम रूप दिया। पूछताछ में आरोपितों ने बताया कि वह चाहते थे कि जान-माल का बड़ा नुकसान हो। जांच में पता चला है कि हाजी सलीम पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा के ऑपरेटिव इकबाल काना का करीबी सहयोगी है। हाजी इकबाल काना के लिये काम कर रहा था। वह इकबाल काना द्वारा भेजे गए फंड को आगे भेजता था, जिसका इस्तेमाल आतंकी हमले को अंजाम देने में किया जाता था।
जल्दी आग पकड़ने वाले कपड़े का किया था उपयोग
ज्ञात हो कि दरभंगा रेलवे स्टेशन पर 17 जून 2021 को हुए पार्सल बम धमाके के मामले में मोहम्मद नासिर खान और उसके भाई इमरान मलिक को हैदराबाद में तीस जून को एनआईए द्वारा गिरफ्तार किया था। आतंकियों ने ट्रेन उड़ाने की साजिश के लिए ऐसे कपड़ों और केमिकल का उपयोग किया था, जो जल्दी आग पकड़ने वाले होते हैं। आतंकी पूरी ट्रेन को बर्निंग ट्रेन बनाना चाहते थे। इसके लिए बोतल के ऊपर सेंसर लगाकर ट्रेन की तेज रफ्तार होने के बाद ब्लास्ट कराकर आग लगाने की मंशा थी लेकिन कुछ गड़बड़ी की वजह से चलती ट्रेन में धमाका नहीं हो पाया।
इस बम में सिंथेटिक कपड़े का इस्तेमाल हुआ। क्योकि सिंथेटिक कपड़ा जल्दी आग पकड़ता है और यह कपड़ा देर तक जलता है, इसलिए आतंकियों ने ज्यादा से ज्यादा जान माल को क्षति पहुंचाने के लिये सिंथेटिक कपड़ों का इस्तेमाल किया।