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ईरान में 4 दिन से जारी है कट्टरपंथ के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन, ट्रंप ने ट्वीट कर किया सपोर्ट

ईरान में युवा नए साल का जश्न मनाने के बजाए सड़कों पर हैं. चार दिनों से ये युवा सरकार विरोधी प्रदर्शन में शामिल हैं. गुरुवार को ईरान के एक शहर से शुरू हुआ प्रदर्शन राजधानी तेहरान समेत दर्जन भर शहरों में फैल चुका है.

प्रदर्शन की शुरुआत जरूरी चीजों की बढ़ती कीमतों के विरोध में हुई थी. कई खाद्य पदार्थों के दाम एक ही हफ्ते में दोगुने हो गए. अब इस प्रदर्शन में सरकार की आर्थिक नीतियों, बेरोजगारी और मौलवियों के शासन के खिलाफ भी आवाजें उठने लगी हैं.

सरकार को दमन और प्रतिबंध का सहारा

सरकार इन प्रदर्शनों को दबाने की कोशिशों के अलावा अपने पक्ष में भी प्रदर्शन करवा रही है. शनिवार को कट्टरपंथियों ने इस्लामी रिपब्लिक के पक्ष में रैली भी बुलाई. कई जगहों पर प्रदर्शनकारियों और पुलिस की झड़पें हुईं. अब तक में दो लोग मारे गए हैं और सैकड़ों लोग गिरफ्तार हो चुके हैं.

ईरान में इन प्रदर्शनों को 2009 के चुनावों के विरोध के बाद सबसे बड़ा प्रदर्शन कहा जा रहा है. ईरानी सरकार ने इन प्रदर्शनों को अवैध घोषित किया है और इनके खिलाफ चेतावनी भी जारी की है. सरकार की ओर से सोशल मीडिया पर रोक भी लगाई जा रही है. ईरान में काफी मशहूर मैसेजिंग ऐप टेलीग्राम और इंस्टाग्राम पर रोक लगा दी गई है. ईरान ने कहा है कि यह रोक तात्कालिक है. ईरान में आधी से ज्यादा आबादी टेलीग्राम पर मौजूद है.

फिलहाल यह प्रदर्शन पूर्वोत्तर शहर मशहद से होकर कर्मांशाह, रशत, इसफाहन, कुओम और तेहरान आदि शहरों में फैल गया है. ईरान ने इन प्रदर्शनों में विदेशी तत्वों का हाथ बताया है.

राष्ट्रपति हसन रूहानी ने इन प्रदर्शनों पर दी प्रतिक्रिया में कहा है कि लोगों के पास विरोध करने का अधिकार है, पर वे तोड़फोड़ न करें. उन्होंने लोगों से शांति बनाने की अपील के साथ ही अधिकारियों की निंदा की है.

अमेरिका ले रहा है ईरान में रुचि

वहीं, अमेरिका हमेशा की तरह इस मामले में दिलचस्पी ले रहा है. ट्रंप प्रशासन ने कहा है कि ईरान की प्रदर्शनकारियों पर की जा रही कार्रवाई को सारी दुनिया देख रही है. व्हाइट हाउस ने एक बयान में कहा है कि ईरानी नागरिक भ्रष्ट शासन से तंग आ गए हैं.

अमेरिकी गृह मंत्रालय ने सभी देशों से आग्रह किया है कि वे ईरानी प्रदर्शनकारियों का समर्थन करें. अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप इस मामले में लगातार ट्वीट कर रहे हैं. उन्होंने कहा है, ‘आतंकवाद के सबसे बड़े प्रायोजक देश ईरान ने इंटरनेट बंद कर दिया है. हर घंटे मनावाधिकारों का उल्लंघन करने वाला ईरान नहीं चाहता है कि शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारी आपस में बात करें. गंदी बात.’

ट्रंप ने एक और ट्वीट में कहा कि आखिरकार अब ईरानियों को समझ आ रहा है कि उनसे पैसे लेकर आतंकवाद में लगाए जा रहे हैं. ईरानी राष्ट्रपति रूहानी ने इस पर कहा है कि फिलहाल ट्रंप ईरान से सहानुभूति जताते नजर आ रहे हैं, लेकिन कुछ महीनों पहले उन्होंने ईरान के लोगों को आतंकी बताया था. वह असल में ईरान के दुश्मन हैं.

पुराना बैर रहा है दोनों देशों में

ईरान और अमेरिका के रिश्ते पुराने समय से उतार-चड़ाव भरे रहे हैं. इनके रिश्तों में खराब दौर 1979 की ईरानी क्रांति में आया. तब अमेरिकापरस्त शाह को गद्दी से हटाकर अमेरिका विरोधी आयतुल्ला खोमैनी सत्ता में आए थे. अमेरिका को इसकी भनक तक नहीं लगी थी. तब सीआइए ने कहा था कि ईरान क्रांति या क्रांति-पूर्व की अवस्था में भी नहीं है.

क्रांति के बाद इस्लामी क्रांतिकारी शाह पर मुकदमा चलाना चाहते थे, लेकिन अमेरिका ने शाह को अपने देश में पनाह दे दी. इससे गुस्साए क्रांतिकारियों ने तेहरान में अमेरिकी दूतावास में मौजूद 52 अमेरिकी नागरिकों को 444 दिनों तक बंधक बनाकर रखा. अमेरिका ने अपनी सेना भेज इन्हें छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन सफल नहीं हो सका और आठ अमेरिकी सैनिक जान गंवा बैठे.

बाद में, जनवरी 1981 में एक समझौते के तहत बंधकों को रिहा किया गया. इसके बाद ईरान-इराक युद्ध के दौरान भी दोनों देशों के रिश्तों में तल्खी आई. अमेरिकी नौसेना ने 1988 में ईरान को काफी नुकसान पहुंचाया. इसके बाद, अमेरिकी नौसेना की मिसाइल ने एक ईरानी फ्लाइट को निशाना बनाया जिसमें छह देशों के 290 नागरिक मारे गए थे. फिलहाल अमेरिका ने ईरान पर कई प्रतिबंध लादे हैं. ईरान के सामने इन प्रतिबंधों के साथ ही अपनी अर्थव्यवस्था को उबारने की चुनौती है.

विरासत में मिली मुसीबत

हसन रूहानी ईरान में 2013 में सत्ता में आए थे. उनके उठाए कदमों से लचर अर्थव्यवस्था की हालत और खस्ता हुई है. कुछ हफ्तों पहले ही आए ईरान के बजट में ईंधन की कीमतों में बढ़ोत्तरी की गई है. इसके अलावा रूहानी ने कई कल्याणकारी योजनाओं का बजट कम किया है.

रूहानी का मानना है कि ये कदम महंगाई को रोकने के लिए जरूरी हैं. पिछले कुछ हफ्तों से तेल उद्योग के कर्मचारी और ट्रक ड्राइवर वेतन न मिलने पर प्रदर्शन कर रहे हैं. इसके अलावा कुछ कर्मचारी फैक्ट्रियां बंद होने और बोनस मिलने में देरी की वजह से भी सड़कों पर उतर रहे हैं.

रूहानी को कुछ परेशानियां विरासत में भी मिलीं. पूर्व राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद के कार्यकाल में कंस्ट्रक्शन उद्योग काफी तेजी से फूला-फला. नई कंपनियों ने उद्योगपतियों को अंधाधुंध उधार दिया, लेकिन इस सेक्टर के बैठने से निवेशकों का काफी पैसा डूबा और लोगों में गुस्सा भर गया.

क्या बदलाव होगा इस प्रदर्शन से?

ईरान में युवा गुस्से में है और आम जन से जुड़े मुद्दों पर बाकी लोग भी सड़कों पर भी आ सकते हैं. हालांकि, विपक्ष अभी सत्ता की बागडोर संभालने के लिए तैयार नहीं है. विपक्षी नेता या तो जेल में हैं या खामोश हैं. कई लोग पुरानी राजशाही को याद कर रहे हैं, लेकिन नए-नवेले लोकतंत्र के लिए ऐसी सोच ठीक नहीं है. अमेरिका का इसमें रुचि लेना भी इसे अलग मुकाम पर पहुंचा सकता है.