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अयोध्या सुनवाई मामला : हिन्दू पक्ष ने पेश किए हलाफनामे, मुस्लिमों ने माना उस स्थान पर था मंदिर

 

 

नई दिल्ली। अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट में आज दसवें दिन की सुनवाई पूरी हो गई । गुरुवार को गोपाल सिंह विशारद के वकील रंजीत सिंह, वरिष्ठ वकील वीएन सिन्हा और निर्मोही अखाड़े के वकील सुशील कुमार जैन ने अपनी-अपनी दलीलें पेश कीं।

रंजीत कुमार ने दलील शुरू करते हुए कहा मेरी दलीलें वकील के परासरण और वैद्यनाथन द्वारा दिए गए उन तर्कों से सहमत हैं जो ये साबित करते हैं कि उक्त जमीन खुद में दैवीय भूमि है। रंजीत कुमार ने कहा कि भगवान राम का उपासक होने के नाते मेरा वहां पर पूजा करने का अधिकार है, यह मेरा सिविल अधिकार है, जिसे छीना नहीं जा सकता है। यही वह जगह है जहां भगवान राम का जन्म हुआ था, मैं यहां पर पूजा करने का अधिकार मांग रहा हूं। रंजीत कुमार 80 साल के अब्दुल गनी की गवाही का हवाला देते हुए कहा कि गनी ने कहा था कि बाबरी मस्जिद जन्मस्थान पर बनी है। बिर्टिश राज में मस्जिद में सिर्फ जुमे की नमाज़ होती थी। हिन्दू भी वहां पर पूजा करने आते थे। रंजीत कुमार ने कहा कि मस्जिद गिरने के बाद मुस्लिम ने नमाज़ पढ़ना बंद कर दिया, लेकिन हिंदुओं ने जन्मस्थान पर पूजा जारी रखी।

रंजीत कुमार ने 20 हलफनामों को सुप्रीम कोर्ट के सामने रखा। इसमें से मुस्लिम हलफनामों में कहा गया कि उन्हें इसमें कोई आपत्ति नहीं है कि विवादित जमीन को अगर हिंदुओं को दे दिया जाता है। रंजीत कुमार ने कहा कि 1949 में मुस्लिम पक्ष ने कहा था कि वह 1935 से वहां पर नमाज नहीं पढ़ रहे हैं, ऐसे में अगर जमीन को हिंदुओं को दिया जाता है तो कोई परेशानी नहीं होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने हलफनामे की वैधता के बारे में पूछा और पूछा कि क्या ये हलफनामे वेरिफाई किए हुए हैं। जस्टिस बोबड़े ने कहा कि यह हलफनामा तब दिया गया था जब सरकार विवादित जमीन को रिसीवर को देना चाहती थी, क्या ये बातें कभी मजिस्ट्रेट के सामने साबित हो पाई थीं? सुप्रीम कोर्ट ने रंजीत कुमार से पूछा कि उन्होंने ये हलफनामे दर्ज कराने का आवेदन पत्र कहां से लिया। इसके संबंध में मजिस्ट्रेट का आदेश था? रंजीत कुमार ने कहा कि 20 लोगों में से 14 ने हलफनामा दाखिल कर कहा था कि विवादित स्थल पर मंदिर था, जिसको गोपाल सिंह विशरद ने हाई कोर्ट के समक्ष रखा था।

रंजीत कुमार के बाद वीएन सिन्हा ने कहा विवादित भूमि को ब्रिटिश हुकूमत ने अपने कब्जे में ले लिया था। जब तक उस भूमि को किसी को लीज पर नहीं दिया जाता, तब तक वह ब्रिटिश हुकूमत का हिस्सा थी। वीएन सिन्हा के बाद निर्मोही अखाड़े की तरफ से सुशील कुमार जैन ने कहा कि उसे पूजा का अधिकार था। मुस्लिम पक्षकार की ओर से दायर केस नंबर 4 लिमिटेशन एक्ट से बाधित हैं, क्योंकि लिमिटेशन एक्ट 1934 से लागू है 1949 से नहीं।

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने सुशील कुमार जैन से पूछा कि क्या निर्मोही अखाड़ा विवादित भूमि पर दावा करता है कि नहीं। क्या हाई कोर्ट में उनके पक्ष और अब के पक्ष में कोई विरोधाभास है। चीफ जस्टिस ने सुशील कुमार जैन से इस सवाल का जवाब देने को कहा।

पिछले 21 अगस्त को रामलला के वकील सी एस वैद्यनाथन ने अपनी दलीलें पूरी कर ली थीं। उन्होंने कहा था कि जन्मस्थान देवता है, कोई भी उस जमीन पर मस्ज़िद होने का आधार पर कब्ज़े का दावा पेश नहीं कर सकता। वैद्यानाथन ने कहा था कि विवादित भूमि पर मंदिर रहा हो या न हो, मूर्ति हो या न हो, लोगों की आस्था होना यह साबित करने के लिए कि वही रामजन्म स्थान है, वहां पर मूर्ति रखना उस स्थान को पवित्रता प्रदान करता है। वैद्यनाथन ने कहा था कि अयोध्या के रामलला नाबालिग हैं, नाबालिग की संपत्ति को न तो बेचा जा सकता है और न ही छीना जा सकता है।