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अपने छात्रों को नकल और दूसरे छात्रों से बरती जा रही सख्ती

देव श्रीवास्तव |

लखीमपुर-खीरी। 
विश्वविद्यालय स्तरीय परीक्षाएं मंगलवार से प्रारंभ हो गईं। नकल रोकने के लिए शिक्षा विभाग ने कड़े कदम उठाए। सेंटर बदलने से लेकर आडियो रिकार्डिंग वाले कैमरे लगाने के सख्त निर्देश जारी किए गए हैं। लेकिन यह निर्देश पूरी तरह सफल होते नजर नहीं आ रहे हैं। इसकी वजह हैं वह महाविद्यालय जहां यूनीवर्सिटी ने स्वकेंद्र व्यवस्था दे रखी है। महाविद्यालय के ही बच्चे और उन्हीं का स्टाफ होने की वजह से कई स्वकेंद्रों पर नकल कराए जाने के मामले सामने आ रहे हैं। इसका खुलासा वहां पढऩे वाले बच्चों ने नाम न छापने की शर्त पर किया। 
  विश्वविद्यालयी परीक्षाओं का आज से आगाज हुआ। सरकार द्वारा पूर्णतया नकलविहीन  परीक्षा कराए जाने को लेकर एक नियम बनाए गए थे। इसमें अव्वल तो 1500 से कम छात्र-छात्राओं वाले महाविद्यालयों के स्थाई सेंटर होने पर रोक लगा दी गई थी। स्थाई केंद्र की सुविधा केवल 1500 छात्र-छात्राओं की संख्या वाले महाविद्यालयों व उन विशेष कन्या महाविद्यालयों, जहां 300 से अधिक छात्राएं अध्ययनरत हैं, को दी गई हैं। आज परीक्षा के बाद कई छात्र-छात्राओं ने इन महाविद्यालयों में कराई जा रही नकल को खाोल कर रख दिया। जिला मुख्यालय में ही परीक्षा देकर लौट रहे एक स्थाई परीक्षा केंद्र महाविद्यालय के छात्र ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उनके महाविद्यालय में छात्र-छात्राओं को हेल्प कराई गई है। हालांकि इसके लिए बाकायदा कुछ सुविधा शुल्क भी लिया गया है। वहीं महाविद्यालय में आए अन्य महाविद्यालयों के छात्र-छात्राओं से सख्ती बरती गई।
  जानकार बताते हैं कि नये नियम का पूरा फायदा स्वकेंद्र से लाभांवित महाविद्यालय उठा रहे हैं। यह महाविद्यालय पासिंग परसेंटेज बढ़ाकर अपनी छवि को निखारने में लगे हैं। वहीं महाविद्यालय में आने वाले अन्य महाविद्यालयों की फिजा को खराब करने के दृष्टिगत उनके छात्र-छात्राओं से खासी सख्ती बरत रहे हैं। इसकी जानकारी मिलने पर अन्य महाविद्यालयों के प्राचार्यों एवं प्रबंधकों ने नाराजगी जताई। प्रबंधकों ने कहा कि नकल विरोधी नीति का वह लोग स्वागत करते हैं। लेकिन सरकार द्वारा स्वकेंद्र प्रणाली को कुछ महाविद्यालयों तक सीमित किए जाने का दुरुपयोग इससे लाभांवित महाविद्यालय के प्रबंधक कर रहे हैं। उन्होंने  जिला प्रशासन से स्वकेंद्र व्यवस्था से लाभांवित महाविद्यालयों में तैनात व्यक्तिगत स्टाफ को बदलवाए जाने की मांग की है। इसको लेकर महाविद्यालयों के प्रबंधकों ने जिला प्रशासन से लेकर शासन स्तर तक कदम उठाने का मन बनाया है।