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शराब पर BJP ने लिया अंतिम फैसला, केवल ‘प्राइम टाइम’ में बेचने का फरमान जारी

wine_145952287866_650x425_040116085003देहरादून| उत्तराखंड में शराब को लेकर लगातार तेज हो रहे विरोध के बीच प्रदेश सरकार धीरे-धीरे इसकी बिक्री कम करने की रणनीति अमल में लाने जा रही है। इस कड़ी में राज्य में शराब की दुकानों को अब रोजाना केवल छह घंटे ही खोला जाएगा। दुकानों के खुलने का समय अपराह्न तीन बजे से रात नौ बजे तक होगा। प्रदेश की नई आबकारी नीति में यह प्रावधान शामिल किया जाएगा। इसके साथ ही, अवैध शराब के साथ पकड़े जाने पर आबकारी एक्ट में बदलाव करते हुए सख्त सजा का प्रावधान भी किया जाएगा। सरकार बार खुलने की समय सीमा को लेकर भी नई आबकारी नीति में नए प्रावधान ला सकती है।

प्रदेश में शराबबंदी की मांग को लेकर जगह-जगह आंदोलन चल रहे हैं। शराब के भारी विरोध के बीच अब सरकार छत्तीसगढ़ की तर्ज पर इस दिशा में कदम उठाने की तैयारी कर चुकी है। दरअसल, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने हाल ही में भाजपा राष्ट्रीय कार्यसमिति की भुवनेश्वर में हुई बैठक के दौरान छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह से वहां की आबकारी नीति के तमाम अहम बिंदुओं पर चर्चा की। इनमें से शराब की दुकानों का समय छह घंटे नियत करने के प्रावधान को उत्तराखंड में भी अमल में लाने का मुख्यमंत्री ने फैसला किया।

सरकार का एक महीने का कार्यकाल पूर्ण होने पर मंगलवार को मीडिया से अनौपचारिक बातचीत में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि सरकार आबकारी को राजस्व का जरिया नहीं बनाना चाहती। शराब बिक्री की समय-सीमा के चलते होने वाले घाटे की प्रतिपूर्ति अन्य स्रोतों से की जाएगी। अभी प्रदेश में एक माह के लिए पुरानी नीति को ही आगे बढ़ाया गया है। एक मई से इसमें बदलाव संभावित है, तभी दुकानों को समय बदलने की व्यवस्था प्रभावी होगी।

उन्होंने कहा कि अभी नकली व अवैध तरीके से लाई जाने वाली शराब की रोकथाम के लिए ठोस नियम नहीं हैं। पकड़े जाने पर आरोपी थाने से ही छूट जाते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके लिए आबकारी एक्ट में बदलाव किया जाएगा। ऐसे कड़े प्रावधान रखे जाएंगे, जिनसे शराब तस्कर आसानी से न छूट पाएं। सार्वजनिक स्थानों पर शराब पीकर उत्पात करने वालों को दंडित करने का भी प्रावधान किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सैनिकों को शराब खरीदने से नहीं रोका जा सकता, वहीं प्रदेश के कुछ जनजातीय क्षेत्र हैं, जहां लोगों को पहले से ही शराब बनाने का अधिकार है। इसे देखते हुए शराबबंदी तो नहीं की जा सकती लेकिन इसकी बिक्री न्यून करने का प्रयास किया जा रहा है। देखा गया है कि जहां भी शराबबंदी हुई, वहां इसके विपरीत परिणाम सामने आए हैं। हरियाणा और बिहार इसका उदाहरण हैं। आज बड़ी कंपनियां अपनी सभी बैठकें बिहार में न कर आसपास के राज्यों में कर रही हैं। उत्तराखंड पर्यटन प्रदेश है। इसे देखते हुए तमाम पहलुओं पर भी विचार किया जा रहा है।
 

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