भाजपा के धाकड़ नेताओं को पछाड़कर उत्तराखंड में इन्होंने किया राज्यसभा का रास्ता साफ


उत्तराखंड पूर्व सीएम विजय बहुगुणा की दावेदारी को खारिज करके पार्टी हाईकमान ने साफ तौर पर संदेश दिया है कि कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए दिग्गजों को इससे ज्यादा एडजस्ट करने की स्थिति में पार्टी नहीं है। प्रचंड जीत के अहसास के बीच जिम्मेदार और अहम पदों पर वो ही काबिज होगा, जो भाजपा की रीति और नीति में रचा-बसा हो।
राज्यसभा के चुनाव में इस बार भाजपा की राह में कोई अड़चन नहीं है। एक विधायक के निधन के बावजूद सदन में उसके 56 विधायक हैं। 11 विधायकों वाली कांग्रेस पहले ही सरेंडर कर चुकी है। इन स्थितियों में चुनाव की असली लड़ाई भाजपा के भीतर ही सिमटी हुई थी। उत्तराखंड से राज्यसभा की एक सीट के लिए तमाम दावेदार लाइन में थे। स्थानीय बनाम पैराशूट दावेदारों की लड़ाई में दोनों तरफ दमदार दावेदार मौजूद रहे।
भाजपा ने उभारना शुरू किया नया नेतृत्व
ये दिग्गज दूसरे राज्यों से एडजस्ट हुए, तो फिर भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री संगठन रामलाल, प्रदेश प्रभारी श्याम जाजू का नाम मजबूत दावेदार बतौर सामने रह गया। बीच में ये चर्चा भी आई कि त्रिपुरा जीत के सूत्रधार राष्ट्रीय महामंत्री राममाधव को भी वाया उत्तराखंड राज्यसभा भेजा जा सकता है। मगर आखिर में मुहर अनिल बलूनी के नाम पर ही लगी।
युवा नेता अनिल बलूनी को अहम जिम्मेदारी देकर भाजपा हाईकमान ने उत्तराखंड में पार्टी में नए नेतृत्व को उभारने का काम भी शुरू कर दिया है। दरअसल, भाजपा में बीसी खंडूडी और भगत सिंह कोश्यारी जैसे नेताओं के उम्रदराज होने के बाद अब दूसरी पीढ़ी के हाथ में सत्ता और संगठन की कमान है। पार्टी ये भी चिंता कर रही है कि आने वाले समय में उसके पास कुछ ऐसे चेहरे जरूर होने चाहिए, जो आगे बढ़कर नेतृत्व कर सके। इस क्रम में अनिल बलूनी को हाईकमान लगातार प्रमोट कर रहा है। केंद्र में मोदी सरकार आने के बाद अनिल बलूनी को संगठन में पहले राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया गया। इसके बाद, उन्हें राष्ट्रीय मीडिया विभाग का प्रमुख बना दिया गया।
हमेशा सबको चौंकाते रहे हैं अनिल बलूनी
हालांकि बाद में कानूनी लड़ाई के जरिये उन्होंने उपचुनाव की सूरत बनवाई और चुनाव लड़ा। ये अलग बात है कि उन्हें कामयाबी नहीं मिल पाई थी। इसके बाद, जब वह मोदी सरकार के जमाने में राष्ट्रीय प्रवक्ता बने, तब भी लोगों को कम आश्चर्य नहीं हुआ। इसके बाद, भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया विभाग में उन्हें प्रभावशाली वक्ता संवित पात्रा और सुधांशु त्रिवेदी पर तरजीह देकर प्रमुख बनाया गया, तो भी लोग हैरान हुए बगैर नहीं रहे।
अनिल बलूनी---प्रोफाइल
उम्र---- 44 वर्ष
गांव--- डांडा नागराजा, नकोट गांव, पौड़ी
कॅरियर-- पत्रकार बतौर शुरूआत, बाद में राजनीति में प्रवेश
नजदीकी--- पहले सुंदर सिंह भंडारी, अब नरेंद्र मोदी-अमित शाह
चुनाव--- 2002 के विधानसभा चुनाव में कोटद्वार सीट से भागीदारी
सरकारी दायित्व- निशंक सरकार में वन्य एवं पर्यावरण सलाहकार समिति के उपाध्यक्ष
वर्तमान दायित्व- भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया विभाग के प्रमुख