फरवरी में ही उड़ गया नैनी झील का रंग

X
Pradesh Jagran6 March 2017 8:53 AM GMT

सैलानियों के आकर्षण का केंद्र नैनी झील का क्षेत्रफल करीब 45 हेक्टेयर और अधिकतम गहराई 27 मीटर है। झील की गहराई नापने के लिए जो गेज इस्तेमाल किया जाता है, वह बारह फीट का है। इस गेज के अनुसार सामान्यतौर पर फरवरी में झील का जलस्तर पांच फीट रहना चाहिए। इससे कम होने पर जलस्तर को माइनस में रिकार्ड किया जाता है। पिछले पांच साल में यह वर्ष 2016 में माइनस में रिकार्ड किया गया। तब यह माइनस एक फीट पर जा पहुंचा था। इस बार और स्थिति और भी खराब है। माइनस 1.40 फीट पर टिका पानी भयावह भविष्य का संकेत दे रहा है।
झील संरक्षण पर लंबे समय से कार्य कर रहे पर्यावरणविद प्रो. अजय रावत बताते हैं कि झील को रीचार्ज करने के लिए पानी का मुख्य स्रोत है सूखाताल। यह ताल सूख गया है। कैचमेंट एरिया में बढ़ता अतिक्रमण झील में गिरने वाले नालों को पाटने के कारण स्थिति विकट हो गई है। गौरतलब है कि इस बार उत्तराखंड में सर्दियों में बारिश करीब 70 फीसद तक कम रही। इसके कारण भी झील के रीचार्ज में कमी आई है। नैनीताल के जिलाधिकारी दीपक रावत को भी हालात की गंभीरता का अहसास है। वह कहते हैं नैनी झील को बचाना प्राथमिकता है। बारिश के पानी के संरक्षण के लिए कवायद शुरू कर दी गई है।
अनियोजित विकास से तस्वीर बदरंग
पर्यावरणविद् प्रो. अजय रावत कहते हैं कि झील 50 फीसद पानी सूखाताल के भूमिगत जल रिसाव पर निर्भर है। सूखाताल के आसपास निर्माण कार्य के साथ ही नालों की दिशा भी बदल दी गई। वह कहते हैं कि शहर के अधिकतर कच्चे मार्ग अब पक्के हो चुके हैं। ऐसे में बारिश का पानी का रिसाव जमीन में नहीं हो पा रहा। झील के जलागम क्षेत्र के 60 प्राकृतिक स्रोतों में से आधे सूख गए हैं, जो बचे हैं, उनमें पानी की मात्रा घट गई है।
पांच साल में फरवरी में झील का जलस्तर
वर्ष-----------------जलस्तर
2012-------- 4.40
2013-------- 5.50
2014-------- 4.40
2015---------4.15
2016-------(-)1.00
2017-------(-)1.40
Next Story