निर्भया प्रकोष्ठ का गठन कर फंड देना भूली सरकार


बलात्कार, मानव तस्करी आदि की पीड़ित महिलाओं के लिए पिछले साल 16 अगस्त 2016 को निर्भया प्रकोष्ठ की स्थापना की गई। इसका कार्यालय डालनवाला थाने में बनाया गया। जहां से पीड़ितों को उनकी पैरवी के लिए वकील और मुआवजा राशि की व्यवस्था की जाती है।
पूरा पैसा भले ही केस का फैसला आने के बाद मिले, पर कुछ राशि पहले ही देनी होती है। लेकिन बजट के अभाव में एक साल में प्रकोष्ठ की शरण में पहुंची चार दुष्कर्म पीड़िताओं को कोई मदद नहीं मिल पाई। निर्भया प्रकोष्ठ समिति के सचिव एसके सिंह ने बताया कि पीड़िता को मुआवजा दिए जाने संबंधी निर्णय जिला विधिक सेवा प्राधिकरण स्तर से लिया जाता है।
पुलिस के पास केस दर्ज होने पर रिपोर्ट लगने के बाद ही शुरुआती स्तर में कुछ पैसा पीड़िता को दिया जाना चाहिए। हालांकि पूरी राशि प्राधिकरण के निर्णय के बाद ही मिलेगी। निर्भया फंड में पैसा नहीं है। जिसके लिए एसएसपी और डीएम को पत्र लिखा गया है।
जजमेंट से पहले मिले कुछ पैसा
प्रकोष्ठ की ओर से पीड़िताओं को मिलने वाली सुविधाओं के बारे में लोग जागरूक नहीं है। इसलिए ज्यादातर पीड़ित प्रकोष्ठ नहीं पहुंच पाते। इसका अंदाजा एक साल में महज चार पीड़ितों के प्रकोष्ठ पहुंचने से लगाया जा सकता है। हालांकि प्रकोष्ठ ने 24 घरेलू हिंसा के मामलों की काउंसिलिंग कर सुलझाए है। प्रकोष्ठ की ओर से अब सभी थाना-चौकी प्रभारियों को पत्र भेजकर इस संबंध में पीड़ितों को जागरूक करने को कहा गया है। प्रकोष्ठ भी पुलिस स्टेशनों पर पंपलेट लगाकर लोगों को जागरूक करेगा।