लखनऊ। समाजवादी पार्टी के कुनबे में कलह थमती नहीं दिख रही है। मंगलवार को जहां सीएम अखिलेश यादव ने अपने पिता और समाजवादी पार्टी सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव को पत्र लिखकर कह दिया कि वो 3 नवंबर से अकेले ही चुनाव प्रचार पर निकल जाएंगे, तो वहीं अब समाजवादी पार्टी के दो एमएलसी खुलकर मुलायम सिंह और अखिलेश के पक्ष में सामने आ गए हैं।
सपा एमएलसी उदयवीर ने खुलकर अखिलेश यादव का पक्ष लेते हुए शिवपाल और उनके परिवार को कटघरे में खड़ा किया है। वहीं एमएलसी आशु मलिक ने अखिलेश को नसीहत देते हुए कहा कि जो लोग मुलायम का सम्मान नहीं कर रहे, वो कल उनका भी सम्मान नहीं करेंगे।समाजवादी पार्टी के दो एमएलसी खुलकर मुलायम और अखिलेश के पक्ष में सामने आ गए हैं।
सपा एमएलसी उदयवीर ने अखिलेश के समर्थन में कहा कि ये बात दोनों के बीच थी, लेकिन जैसे ही चर्चा बाहर आई तो अखिलेश जी के खिलाफ घर में ही साजिश शुरू हो गई। अखिलेश जी की सौतेली मां साधना तो सामने नहीं आईं, लेकिन उनका राजनीतिक चेहरा बनकर शिवपाल जी ने पार्टी के तमाम नेताओं से संपर्क कर अखिलेश को सीएम बनने से रोकने के लिए हरसंभव कोशिश की। पारिवारिक जलन में जल रहे शिवपाल जी की महत्वाकांक्षा तभी से अखिलेश जी का पीछा कर रही है। शिवपाल जी ने कई बार अखिलेश जी का सार्वजनिक मजाक उड़ाया, जैसे- अखिलेश लड़का है, ये उत्तर प्रदेश को विदेश बनाना चाहता है, ये एक्सप्रेस वे क्या बनवाएगा, कानून व्यवस्था इसके बस की बात नहीं। समय के साथ शिवपाल की पत्नी, बेटे, बहू, और आपके भाई के साथ कई रिश्तेदार, मौकापरस्त नेता और ठेकेदार जुड़ते गए और मुख्यमंत्री अखिलेश के खिलाफ साजिश रचते रहे।
वहीं दूसरी तरफ मुलायम के समर्थन में खड़े एमएलसी आशु मलिक अखिलेश को नसीहत देते दिखे। उन्होंने लिखा, अफसोस उन लोगों पर जो पार्टी की लोकतांत्रिक भावनाओं को अपसी कलह समझ रहे हैं, वो ये नहीं समझ रहे हैं कि माननीय नेताजी और माननीय अखिलेश जी दोनों एक दूसरे से कितना प्यार करते हैं। देश में समाजवाद के कितने दिये जले और बुझ गए लेकिन समाजवादी पार्टी की शमां आज भी रौशन है। हमारे गार्जियन माननीय नेताजी आज भी अपनी जिंदगी का एक एक क्षण हमारे लिए लगा रहे हैं, हमारी कामयाबी के लिए सौ-सौ जतन कर रहे हैं। हमें इनके महत्व को समझना होगा। मैं कहता हूं कि जो नेता जी का सम्मान नहीं कर सकता, वो कल माननीय मुख्यमंत्री जी का भी सम्मान नहीं करेगा। ये चापलूसी में दूसरे को खुश करने वाली तरकीबें हैं जो बार-बार चिट्ठियां लिखकर नेताजी को नसीहतें दे रहे हैं। उनकी हैसियत 500 वोटों की भी नहीं है।