नई दिल्ली। जिस तेजी से इंटरनेट की स्पीड, एक से बढ़कर उपकरण और साथ ही हाईटेक मोबाइल बढ़ते जा रहे हैं उससे कही तेजी से दुनिया को पोर्न या अश्लील सामग्री की लत पड़ती जा रही है। एक स्टडी के अनुसार ये लत उस व्यक्ति के साथ के साथ धरती की सेहत के लिए भी खतरनाक है। दरअसल, इंटरनेट पर पॉर्न देखने से पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है। यह बात फ्रांस के थिंक टैंक द शिफ्ट प्रोजेक्ट की हालिया रिपोर्ट में कही गई है।
रिपोर्ट के अनुसार, ऑनलाइन पॉर्नोग्राफी की स्ट्रीमिंग से काफी मात्रा में कॉर्बन डाइऑक्साइड (CO2) का उत्सर्जन हो रहा है। स्थिति का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि इंटरनेट पर पॉर्न देखने से पैदा होने वाली कॉर्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन की मात्रा बेल्जियम में कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन की मात्रा के बराबर है। जो धरती की सेहत के लिए खतरनाक है।
इस साल की शुरुआत में द शिफ्ट प्रोजेक्ट ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि डिजिटल टेक्नोलॉजी ग्रीन हाउस गैस एमिशन (उत्सर्जन) का चार फीसदी पैदा करती है। यह आंकड़ा साल 2025 तक बढ़कर आठ फीसदी हो जाएगा।
इस बार थिंक टैंक ने केवल ऑनलाइन विडियो से होने वाले कार्बन एमिशन का अनुमान लगाया है। इसके लिए शोध करने वाली टीम ने मोबाइल फोन और टीवी से लेकर दूसरे उपकरणों तक इस वीडियो को पहुंचाने में लगने वाली बिजली का आंकलन किया। इसके बाद इन लोगों ने कुल उत्सर्जन का अनुमान लगाने के लिए बिजली पैदा करने में कार्बन उत्सर्जन का वैश्विक औसत निकाला।
ऑनलाइन वीडियो पर खर्च होता 60 फीसदी डेटा
रिसर्च का नेतृत्व करने वाले कंप्यूटर मॉडलिंग के जानकार इंजीनियर मैक्सिम एफू-हेस्स ने पाया कि डिजिटल टेक्नोलॉजी से होने वाली ऊर्जा खपत में सालाना नौ फीसदी की वृद्धि हुई है। दुनियाभर में 60 फीसदी डेटा (इंटरनेट) ऑनलाइन वीडियो पर खर्च होता है।