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सावन:साढेसाती,राहु,केतु,शनि और कष्ट प्रद ग्रहों को शांत करने का महीना शुरू होगा कल से,जानिए उपाय

अध्य्तम|

सावन मास की शुरुआत 17 जुलाई से हो रही है। इस महीने से व्रत और त्योहारों की भी शुरुआत हो जाती है। सावन का महीना शिव की अराधना के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा अर्चना की जाती है। भगवान शिव के अलावा यह महीना माता पार्वती की पूजा के लिए उपयुक्त माना जाता है।

ऐसा कहा जाता है कि जो भक्त इस महीने में माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा करते हैं उन्हें भोले बाबा की असीम कृपा मिलती है। सावन का पहला सोमवार 22 जुलाई को होगा।

सावन के महीने में भगवान शिव का रुद्राभिषेक किया जाता है। कहते हैं अलग-अलग चीजों से रुद्राभिषेक करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। इस बार सावन के महीने की खास बात यह है कि इस बार सावन के 4 सोमवार होंगे। सावन का अंतिम दिन 15 अगस्त को है। इस दिन स्वतंत्रतता दिवस के साथ रक्षाबंधन भी है। 

सावन का नाम आते ही मन में रिमझिम बौछारों के साथ ही भगवान शिव की छवि उभरकर आती है। साथ ही विचार आते हैं कि हम ऐसा क्‍या करें कि भगवान शिव प्रसन्‍न हो जाएं और हम पर कृपा बरसाएं।

शिवजी को प्रसन्‍न करने के कुछ आसान से उपाय:-

  • कुंवारी कन्‍याएं शीघ्र विवाह के लिए सावन के महीने में दूध में कुमकुम मिलाकर रोज शिवलिंग पर चढ़ाएं।
  • सावन में नंदी बाबा को रोज हरा चारा खिलाएं। भगवान शिव निश्चित आप पर प्रसन्‍न होंगे और आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी।
  • रोज सुबह स्‍नान करने के पश्‍चात मंदिर जाएं और यहां शिवलिंग पर जलाभिषेक के साथ बिल्वपत्र,भांग,धतूरा,शमीपत्र तिल इत्यादि से पूजा करें। ऐसा करने से भोले बाबा प्रसन्‍न होते हैं।

इस विधि से करें व्रत, भगवान शिव देंगे ये वरदान:-

सर्वशक्तिमान परम पिता परमात्मा एक है परंतु उसके रुप अनेक हैं। भगवान शिव की शक्ति अपरम्पार है वह सदा ही कल्याण करते हैं। वह विभिन्न रूपों में संसार का संचालन करते हैं। सच्चिदानंद शिव एक हैं, वे गुणातीत और गुणमय हैं। एक ओर जहां ब्रह्म रूप में वह सृष्टि की उत्पत्ति करते हैं वहीं विष्णु रूप में सृष्टि का पालन करते हैं तथा शिव रुप में वह सृष्टि का संहार भी करते हैं। भक्तजन अपनी किसी भी मनोकामना की पूर्ति के लिए भगवान शिव की उपासना करते हुए शिवलिंग का पूजन करते हैं। 

कैसे करें व्रत :-

  • प्रत्येक सोमवार को मंदिर जाकर शिव परिवार की धूप, दीप, नेवैद्य, फल और फूलों आदि से पूजा करके सारा दिन उपवास करें। शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाकर उनका दूध से अभिषेक करें। शाम को मीठे से भोजन करें। अगले दिन भगवान शिव के पूजन के पश्चात यथाशक्ति दान आदि देकर ही व्रत का पारण करें। अपने किए गए संकल्प के अनुसार व्रत करके उनका विधिवत उद्यापन किया जाना चाहिए। जो लोग सच्चे भाव एवं नियम से भगवान की पूजा, स्तुति करते हैं वह मनवांछित फल प्राप्त करते हैं। इन व्रतों में सफेद वस्त्र धारण करके सफेद चन्दन का तिलक लगाकर ही पूजन करना चाहिए तथा सफेद वस्तुओं के दान की ही सर्वाधिक महिमा है।
  • दान करने वाली वस्तुएं- बर्फी, सफेद चन्दन, चावल, चांदी, मिश्री, गाय का घी, दूध, दही, खीर, सफेद पुष्पों का दान सायंकाल में करने से जहां मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं वहीं घर में खुशहाली भी आती है।
  • क्या खांए- खीर ,पूरी, दूध दही, चावल। व्रत में नमक नहीं खाना चाहिए।
  • किस मंत्र का करें जाप- “ओम नम: शिवाय”एवं “महा मृत्युंजय” मंत्र के अतिरिक्त चन्द्र बीज मंत्र ‘ओम श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्रमसे नम:’ और चन्द्र मूल मंत्र ‘ओम चं चन्द्रमसे  नम:’।
  • व्रत से मिलने वाले लाभ- मानसिक सुख एवं शांति का शरीर में प्रवाह होगा। व्यापार में वृद्घि होगी, परिवार में खुशहाली आएगी। जिस कामना से व्रत किया जाऐगा वह अवश्य पूरी होगी।
  • आप शनि के प्रकोप से पीड़ित हैं तो इस श्रावण माह के प्रथम दिन सच्चे मन से शिव जी से अपनी पीड़ा कहें। इससे वह आपकी पीड़ा जरूर सुनेंगे और उसे दूर करेंगे। 

शारीरिक कष्टों से दिलाएंगे मुक्‍ती ; 

यदि जन्मकुंडली में शनि,राहु,केतु व अन्य कष्टकारी ग्रह शारीरिक कष्ट इत्यादि दे रहे हैं तो आपको सावन के पहले ही दिन से शिव पूजा प्रारंभ कर देनी चाहिए।

शनि की साढ़े साती होगी दूर 

वे लोग जिनकी शनि की साढ़े साती है। या फिर धनु, वृश्चिक और मकर राशि वाले शनि की साढ़े साती से परेशान हैं तो, ऐसे लोग प्रथम दिवस रुद्राभिषेक अवश्य करें और शिवलिंग के सामने बैठकर शनि के बीज मंत्र का जप करें। इसके अलावा उन्‍हें सुंदरकांड का पाठ भी करना चाहिए। 
 

तकनीकी शिक्षा से जुड़े लोग करें महामृत्युंजय मंत्र का जाप :-

शनि से बनने वाले मारकेश की स्थिति में आप महामृत्युंजय मंत्र के जप के साथ साथ शनि के बीज मंत्र का जप भी करें।शनि तकनीकी शिक्षा और विधि की शिक्षा का कारक ग्रह है। इस फील्ड से जुड़े जातक शिव पूजा करें तो उनको सफलता मिलेगी।

साभार आचार्य राजेश कुमार