आम चुनाव बस आने ही वाले हैं हर पार्टी अपना-अपना एजेंडा ले कर राजनीतिक मैदांन में उतर चुकी है… आपको बता दें, सपा-बसपा का गठबंधन होना यकीनी है, साथ में यह भी चर्चा है कि कांग्रेस और रालोद भी मिल सकते हैं।
मगर गत दिनों पेट्रोल-डीजल की कीमतों के विरोध में कांग्रेस और विपक्षी दलों द्वारा आयोजित भारत बंद में सपा-बसपा के शामिल न होने से यह संकेत मिलता है कि ये दोनों पार्टियां कांग्रेस का हाथ झटकने की तैयारी में हैं।
कांग्रेस को भी ठहराया जिम्मेदार
भारत बंद के बाद मायावती ने पेट्रोल-डीजल की कीमतों में वृद्धि के लिए भाजपा के साथ कांग्रेस को भी जिम्मेदार ठहराया।इससे लगता है कि आपसी गठबंधन में कांग्रेस को साथ नहीं लेना चाहती है।
आर्थिक नीति में आगे रखा पेट्रोल को
मायावती ने कहा कि कांग्रेस ने ही यूपीेेए-2 के शासन काल में पेट्रोल को सरकार नियंत्रण से मुक्त कराने का फैसला लिया था। इसके बाद केन्द्र में बनी भाजपा सरकार ने उसी आर्थिक नीति को आगे बढ़ाया, इसलिए भाजपा और कांग्रेस दोनों ही मूल्य वृद्धि के लिए जिम्मेदार है।
उत्तर प्रदेश में हुए लोकसभा उपचुनावों में सपा, बसपा, कांग्रेस और रालोद गठबंधन की जीत से स्पष्ट हुआ था कि 2019 के लोकसभा चुनावों में यही गठबंधन भाजपा को पटखनी देगा। मगर मायावती ने जिस तरह कांग्रेस को कोसा उससे बसपा का नया रुप दिखाई दिया।