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हिंदू लड़की से शादी की चाह में युवक ने छोड़ा इस्लाम धर्म, बाद में हुआ कुछ ऐसा कि पहुंच गया कोर्ट

नई दिल्ली: छत्तीसगढ़ में एक मुस्लिम युवक ने हिन्दू युवती से शादी की चाह में अपना इस्लाम धर्म छोड़ दिया। लेकिन इसके बावजूद उसकी शादी नहीं हो सकी। ऐसा इसलिए क्योंकि शादी से पहले युवती ने इसे धोखा दे दिया। मामला कोर्ट तक पहुंच गया लेकिन कोर्ट में भी लड़की की जीत हुई। मामला रायपुर से 60 किमी दूर धमतरी का है, और यहां रहने वाली अंजलि जैन से शादी करने के लिए इब्राहीम सिद्दीकी ने इसी साल फरवरी में हिंदू धर्म अपना लिया था।

क्या था मामला?

दरअसल, सुप्रिम कोर्ट ने सोमवार को इब्राहिम सिद्दीकी की तरफ से दाखिल याचिका पर सुवाई की थी। याचिका में इब्राहीम ने शिकायत की थी कि उसने इस्लाम छोड़कर हिंदू धर्म अपना लिया था और अपना नाम आर्यन रख लिया था। लेकिन उसके बाद भी उसे प्रेम में धोखा मिला। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने युवती से बातचीत की। इस दौरान युवती ने कहा कि वह अपने माता पिता के साथ रहना चाहती है। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने भी युवती की बात मान ली। इससे पहले, कोर्ट ने छत्तीसगढ़ पुलिस को भी निर्देश दिए थे कि वह सुनवाई के दौरान लड़की की मौजूदगी सुनिश्चित कराए।

पति ने लगाए थे ये आरोप

अंजलि जैन के पति इब्राहीम सिद्दीकी उर्फ आर्यन का आरोप था कि उसकी पत्नि के मां बाप उसे लड़की से मिलने नहीं दे रहे हैं। लड़की जब कोर्ट में पेश हुई तो कोर्ट ने इस बाबत जानकारियां मांगी। मसलन, लड़की का नाम क्या है? क्या वाकई उनकी शादी हुई? लड़की अपने पति के साथ क्यों नहीं रहना चाहती? जिस पर लड़की ने जवाब दिया था कि वह बालिग है और उसने आर्यन से शादी की, लेकिन वह अपने माता-पिता के साथ रहना चाहती है। युवती ने अदालत में कहा कि यह उसकी इच्छा है कि वह किसके साथ रहे और इसपर किसी ने मेरे ऊपर किसी तरह का कोई दबाव नहीं बनाया है।

युवती खुद अपना फैसला लेने के लिए आजाद है- कोर्ट

बेंच ने लड़की के बयान पर विचार किया और हाईकोर्ट के आदेश में परिवर्तन कर दिया। अदालत ने कहा, ‘उसने साफ तौर पर कहा कि वह अपने पति के साथ नहीं जाना चाहती और अपने मां बाप के पास वापस जाना चाहती है। लड़की के बयान के मद्देनजर कोर्ट युवती को घरवालों के साथ जाने की इजाजत देती है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम शादी पर टिप्पणी नहीं करना चाहते। वह बालिग है, वह अपने फैसले लेने के लिए आजाद है और वह जहां चाहे जा सकती है। गौरतलब हो कि इससे पहले मामले में हाईकोर्ट ने लड़की को आदेश दिया था कि या तो वह ससुराल में रहे या फिर हॉस्टल में।