Breaking News

आवश्यक सूचना: प्रदेश जागरण के सभी निर्गत परिचय पत्र निरस्त किये जा चुके हैं | अगस्त 2022 के बाद के मिलने या दिखने वाले परिचय पत्र फर्जी माने जाएंगे |

13 साल के बच्चे ने लिया सन्यास, महज 70 दिन में पूरी की 20 हजार किमी की यात्रा…

कई बार कुछ काम ऐसे होतें है जिनको करने मवे अक्सर बड़े बड़े दूर से ही नमस्कार कर लेतें हैं. जैसे आपने सुना होगा लोग खुद से इतना प्यार करतें हैं की कई परम्पराओं को अनदेखा कर देतें हैं. बता दें, राजस्थान के जालौर के पास आहोर निवासी दिलीप संघवी के पुत्र आदि संघवी ने महज 13 वर्ष की उम्र में ही सांसारिक मोह माया को त्याग कर कलिकुंड तीर्थ (गुजरात ) में दीक्षा ग्रहण की.

मुमुक्षु ने आचार्य भगवंत विजय जयानंदसूरि मसा से दीक्षा ग्रहण की. आदि संघवी थाने (महाराष्ट्र) में अंग्रेजी माध्यम में पांचवीं कक्षा में पढ़ रहे थे..

माता पिता ने दी दीक्षा की अनुमति

मुमुक्षु के पिता दिलीप संघवी, माता भावना संघवी परिवारजनों ने उसकी इच्छा को स्वीकार किया और दीक्षा की अनुमति दी. दीक्षा से पूर्व मुमुक्षु आदि संघवी ने अनेक राज्य और शहरों में आशीर्वाद लेने के लिए 70 दिन के अंदर 20 हजार से ज्यादा किलोमीटर की यात्रा की.

आदि संघवी दीक्षा लेकर जिनशासन के नूतन दीक्षित अणगार बने. आदि को संघवी परिवार ने आचार्य जयानंदसूरिश्वर को अर्पण किया और आचार्य ने मुमुक्षु का अर्पणविजयजी नामकरण किया. दीक्षा के दौरान दिलीप के सभी घर वाले और समाज के लोग मौजूद थे.

दिलीप भावना संघवी के एक पुत्र-पुत्री है. जिसमें एक पुत्र मुमुक्षु आदि संघवी ने दीक्षा लेने की इच्छा जताई तो परिवारजन ने बच्चे की इच्छा को स्वीकार करते हुए उसे दीक्षा लेने की अनुमति दी. आदि संघवी की एक छोटी बहन देशना है जिसकी उम्र नौ वर्ष है.

7 वर्ष की उम्र में ही करा लिए थे केशलोचन

महावीर मानव सेवा के प्रतिनिधि भरत भाई ने बताया कि मुमुक्षु सात वर्ष की उम्र में केशलोचन, आठ वर्ष की उम्र में अडारिया, साढ़े आठ वर्ष की उम्र में 99 यात्रा, दस वर्ष की उम्र में उपधान मोक्ष माला, साढ़े तेरह वर्ष की उम्र में दीक्षा मुहूर्त और अब तेरह वर्ष सात महीने और 8 दिन पूरे होते हुए संयम धर्म स्वीकार मुमुक्षु आदि संघवी ने दीक्षा ग्रहण की.