Breaking News

आवश्यक सूचना: प्रदेश जागरण के सभी निर्गत परिचय पत्र निरस्त किये जा चुके हैं | अगस्त 2022 के बाद के मिलने या दिखने वाले परिचय पत्र फर्जी माने जाएंगे |

स्वामी अखंडानंद ने आज के योग को बताया मिथ्या, कहा ये है सही योग…

उत्तराखंड देवभूमि की सरजमी पर सात दिन के अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव के करिक्रम का आयोजन किया गया. जिसमे कई बड़े योगियों और योग के महारथियों ने अपने जौहर दिखाए. इसी बीच योग महायोगी स्वामी अखंडानंद तपोवन ऋषिकेश से इंटनेशनल योग महोत्सव अपने कार्यक्रम मे योग के वास्तविक सवरूप को समझाया.

स्वामी अखंडानंद ने बताया कि लोग योग के नाम पर भर्मित हो रहे है, इतना ही नहीं , प्रणायाम तक सिमित हुए जबकि ये सब अष्टांग योग के अंग महृषि पतंजलि द्वारा दिए गए योग करने की छमता लाने के लिए स्वास्थ्य रहने के लिए, कियोकि एक स्वास्थ्य शरीर ही योग को प्राप्त कर सकता है , और महायोग की और जा सकता है…

वास्तविक योग की क्या परिभाषा है?

अखंडानंद ने इस विषय पर बात करते हुए बताया कि प्राप्त की प्राप्ति का नाम ही योग है, योग कभी होता नहीं, फिर क्या होता है? केवल भ्रान्ति होती है, उन्होंने ये भी बताया कि ये भ्रान्ति क्यों होती है? भ्रान्ति मल और विक्षेप के कारण होती है ! मल और विक्षेप क्या है? हमारी इच्छाये और कामनाये हमारा मल है, और आत्मा और अनात्मा को ना जानना ही विक्षेप है ! इनको दूर किये बिना योग सिद्ध नही हो सकता अर्थात योग नहीं हो सकता.

उन्होंने कहा-हमारे चार पर्वतक है योग के महृषि पतंजलि, भगवान कृष्ण, महात्मा बुद्ध, कुंडलेश्वर गुरु गोरक्ष नाथ , बाबा गुरु देव का मार्ग आज भी साधक को पूर्ण अखण्ड महायोग में ले जाने जाने मे समर्थ ही नहीं बल्कि दिशा और दशा बदलने की छमता रखता है, केवल स्रद्धा और समर्पण के दो पुष्प चढाने है छन में मिल जाता है जब तक हमे वास्तविक ज्ञान नही होगा तब तक हम भटकते रहेंगे सही योग वही है जो आपको स्वम् से स्वम की अनुभूति करा दे अन्यथा सब धोखा है.

प्रार्थना करें उस दिव्य ऊर्जा शक्ति को प्राप्त करने की जो सदा से प्राप्त है उस को ना पाकर हम जन्म जन्म से दुःख में डूबे है प्रारब्ध वस् तनावग्रस्त है उस योग को प्राप्त होते ही आप ऐश्वर्य सुख, समृद्धि, ज्ञान, एवं आनंद के महासमुंदर मे गौता लगाते है प्रयाग राज से आशीर्वाद मागे आंतरिक प्रयाग को जानने के लिए यही महातीर्थ कुम्भ का फल है. योग आसन पर जब विश्व लटू है जब वास्तविक योग को संसार जानेगा तो भारत विश्व गुरु बनेगा उस कुण्डलिनी सक्ति को जाने बिना योग नही हो सकता योग को ना जानकर भर्मित हुए लोग देखा देखि करें योग छीजे काया बाढ़े रोग प्रति दिन स्वास परसवास में मंथन चल रहा है और तिरवेनी संगम हो रहा है इसे जानने की आवश्यकता है अपनी घर वापसी का मार्ग है योग और यही तीर्थ राज का फल है.

लोककल्याण के लिए कार्य मे लगा है ट्रस्ट अहंकार वस् जो लोग इस संसार को अपना मान लेते है उन्हें किस प्रकार कि ह्रदय पीडा निराशा एवम दुख भोगना पड़ता है उसे आप जानते है. इस यंतरणा भरे अस्तित्व से बचाने के लिए सुख ‘ समृद्धि ज्ञान एवं आनंद का अनूठा संगम के रूप मे अखंड महायोग के द्वारा देश भर मे कार्य कर रहे है.