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सर्वधर्म संभाव की मिसाल है यह दरगाह, जन्माष्टमी पर लगता है यहां मेला

भारत देश को अनेकता में एकता का प्रतीक माना जाता है. यहां सर्वधर्म संभाव की भावना के साथ हर किसी धर्म के पर्व का सम्मान करते हैं. चाहे वो ईद हो या फिर दीवाली पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. ऐसे में आज हिंदू धर्म का पर्व जन्माष्टमी है और सभी कृष्ण मंदिरों को दु्ल्हन की तरह सजाया गया है. इन मंदिरों में रात 12 बजे भगवान का जन्म होगा साथ ही भक्तगण भगवान के दर्शन और प्रसाद ग्रहण करेंगे. वहीं आज हम आपको एक ऐसी दरगाह के बारे में बताएंगे जहां पर जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है.

शकरबार दरगाह एक मिसाल है

राजस्थान के जयपुर से 200 किलोमीटर दूर झुंझुनू जिले के चिड़ावा स्थित नरहड़ दरगाह, शरीफ हजरत हाजिब शकरबार दरगाह लोगों के लिए विभिन्न धर्मों की एकता का सबक सिखाती है. यहां मुस्लिम समुदाय के लोग दरगाह में जन्माष्टमी का त्योहार धूमधाम से मनाते हैं.

यहां आयोजित मेले में दूरदराज से लोग पहुंचते हैं और मेले का लुत्फ उठाते हैं. इस दौरान यहां पहुंचने वाले हिंदू श्रद्धालु मंदिर में पूजा करने के साथ-साथ दरगाह में फूल, चादर, मिठाई आदि चढ़ाकर अपनी-अपनी मुरादें मांगते हैं. वाकई देश के लिए मिसाल है ये दरगाह.शक्करबार शाह अजमेर के सूफी संत ख्वाजा मोइनुदीन चिश्ती के समकालीन थे तथा उन्हीं की तरह सिद्ध पुरुष थे.शकरबार शाह ने ख्वाजा साहब के 57 साल बाद देह त्यागी थी. राजस्थान व हरियाणा में तो शकरबार बाबा को लोक देवता के रूप में पूजा जाता है. शादी, विवाह, जन्म, मरण कोई भी कार्य हो बाबा को अवश्य याद किया जाता है.