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रिसर्चः युवाओं का ही नहीं बुजुर्गों का भी सच्चा दोस्त है फेसबुक

डेस्कः फेसबुक सिर्फ युवा ही नहीं बल्कि बुजुर्गों का भी हिस्सा बन रहा है। एक रिसर्च में ये बात सामने आई है। इस दल में एक भारतीय मूल के शोधार्थी व पेन्सिलवेनियास्टेट यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर एस. श्याम सुंदर भी हैं। उनका कहना है कि फेसबुक पर बुजुर्ग से उन्हीं कारणों से जुड़ते हैं जिसके कारण लड़के लड़कियां पिछले एक दशक से फेसबुक से जुड़ रहे हैं।
फेसबुक पर बुजुर्ग अपने पोते-पेतियों को देखते हैं
सुंदर के मुताबिक बुजुर्ग सामाजिक संबंध और जिज्ञासा से प्रेरित होकर फेसबुक पर बुजुर्ग जुड़ते हैं, लेकिन वे फेसबुक का प्रयोग सामजिक पहरेदार के रूप में अधिक करते हैं। सुंदर ने बताया कि बुजुर्ग देखते हैं कि उनके बच्चे या पोता-पोती फेसबुक पर क्या कर रहे हैं। इससे पहले ऐसा ही अध्ययन फेसबुक से कॉलेज छात्रों के जुड़ने को लेकर किया गया था। इसमें सामाजिक संबंध बनाने और फेसबुक पर बुजुर्ग के प्रयोग के बीच सकारात्मक संबंध देखा गया था।
पेन्सिलवेनियास्टेट यूनिवर्सिटी के मास कम्युनिकेशन शोधार्थी इयुन हवा जुंग कहते हैं कि हमारे शोध से यही बात बुजुर्गो के संबंध में पता चली है। शोधकर्ताओं ने पाया कि अपने परिवार से जुड़ने की इच्छा या फिर अपने पुराने दोस्तों से जुड़ने की इच्छा के कारण लोग फेसबुक से जुड़ते हैं। जंग कहते हैं कि बुजुर्ग जिज्ञासा के कारण भी फेसबुक से जुड़ते हैं। यह शोध जर्नल कम्प्यूटर इन ह्यूमन बिहेवियर में प्रकाशित किया गया है। शोध के अनुसार बुजुर्ग रोजाना 2.46 बार फेसबुक पर जाते हैं और औसतन 35 मिनट रोज बिताते हैं।