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स्टेच्यू ऑफ यूनिटी के अनावरण पर बोले पीएम मोदी- सरदार ना होते तो सोमनाथ मंदिर जाने को भी लगता वीज़ा

नई दिल्ली। देश की 527 रियासतों को एक सूत्र में पिरोकर आजाद भारत को नई शक्ल देने वाले ‘लौह पुरुष’ सरदार वल्लभभाई पटेल की आज 143वीं जयंती है। इस खास मौक पर आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरदार पटेल की 182 मीटर ऊंची प्रतिमा ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ का अनावरण किया। सरदार की यह प्रतिमा चीन के स्प्रिंग टेम्पल ऑफ बुद्ध से भी 29 मीटर ऊंची है। चीनी प्रतिमा की ऊंचाई 153 मीटर है। यही नहीं, पटेल की यह मूर्ति न्यूयॉर्क स्थित स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी (93 मीटर) से लगभग दोगुना बड़ी है। ऐसे में आज से यह मूर्ति दुनिया की सबसे मूर्ति के रूप में पहचानी जाएगी।

सरदार पटेल की इस मूर्ति के अलावा आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘वैली ऑफ फ्लोवर्स’, टेंट सिटी का भी उद्घाटन किया। इस दौरान गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह समेत कई बड़े नेता भी मौजूद।

सरदार के विराट व्यक्तित्व उजागर किया गया- मोदी

मूर्ति अनावरण के बाद समारोह को सम्बोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि आज पूरा देश राष्ट्रीय एकता दिवस मना रहा है। किसी भी देश के इतिहास में ऐसे अवसर आते हैं, जब वो पूर्णता का अहसास कराते हैं। आज वही पल है जो देश के इतिहास में हमेशा के लिए दर्ज हो जाता है, जिसे मिटा पाना मुश्किल है।

पीएम ने कहा, ‘हम आजादी के इतने साल तक एक अधूरापन लेकर चल रहे थे, लेकिन आज भारत के वर्तमान ने सरदार के विराट व्यक्तित्व को उजागर करने का काम किया है। आज जब धरती से लेकर आसमान तक सरदार साहब का अभिषेक हो रहा है, तो ये काम भविष्य के लिए प्रेरणा का आधार है।

पटेल की मूर्ति का अनावरण करना मेरे लिए सौभाग्य

मोदी ने कहा, ‘यह मेरा सौभाग्य है कि मुझे सरदार साहब की इस विशाल प्रतिमा को देश को समर्पित करने का अवसर किया है। उन्होंने कहा कि जब मैंने गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर इसकी कल्पना की थी, तो कभी अहसास नहीं था कि प्रधानमंत्री के तौर पर मुझे ये पुण्य काम करने का मौका मिलेगा। इस काम में जो गुजरात की जनता ने मेरा साथ दिया है, उसके लिए मैं बहुत आभारी हूं।’

सिर्फ पटेल में दिखती थी आशा

उन्होंने कहा कि सरदार पटेल ने उस समय खंडित पड़े देश को एक सूत्र में बांधा, जब मां भारती 550 से अधिक विरासतों में बंटी हुई थी। दुनिया में भारत के भविष्य के प्रति बहुत निराशा था, तब भी कई निराशावादी थे। उन्हें लगता था कि भारत अपनी विविधताओं की वजह से बिखर जाएगा। तब सभी को सिर्फ एक ही किरण दिखती थी, ये किरण थी सरदार वल्लभभाई पटेल।

पटेल ना होते तो सोमनाथ मंदिर के लिए लेना पड़ता वीज़ा

पीएम मोदी ने कहा कि चाहे जितना दबाव, मतभेद क्यों ही ना हो लेकिन प्रशासन में गवर्नेंस को किस तरह स्थापित किया जाता है, ये सरदार साहब ने करके दिखाया है। अगर सरदार साहब ने संकल्प नहीं किया होता तो आज गिर के शेर को देखने के लिए और शिवभक्तों के लिए सोमनाथ की पूजा करने के लिए, हैदराबाद में चारमिनार को देखने के लिए वीजा लेना पड़ता।

उन्होंने कहा कि अगर सरदार साहब ना होते तो सिविल सेवा जैसा प्रशासनिक ढांचा खड़ा करने में हमें बहुत मुश्किल होती। सरदार के संकल्प से ही कश्मीर से कन्याकुमारी तक ट्रेन चल पाती है। प्रधानमंत्री बोले कि ये प्रतिमा भारत के अस्तित्व पर सवाल उठाने वालों को ये याद दिलाने के लिए है कि ये राष्ट्र शाश्वत था, शाश्वत है और शाश्वत रहेगा।

स्टेच्यू ऑफ यूनिटी की खास बातें…

  1. विंध्याचल व सतपुड़ा की पहाड़ियों के बीच नर्मदा नदी के टापू पर बनी इस मूर्ति को बनाने में करीब 2389 करोड़ रुपये खर्च हुए।
  2. मूर्ति के अलावा सरदार पटेल से जुड़े तथ्यों पर अधारित एक संग्रहालय भी तैयार किया गया है। इसमें लौह पुरुष के जीवन से जुड़ी घटनाओं पर लाइट एंड साउंड शो भी होगा।
  3. स्टैच्यू के ऊपरी हिस्से में 306 मीटर पैदल पथ को पूरी तरह से मार्बल से तैयार किया गया है। इसके अलावा दिव्यांगों और वरिष्ठ नागरिकों के लिए भी पैदल पथ होगा।
  4. स्टेच्यू ऑफ यूनिटी की लंबाई 182 मीटर है। यह इतनी बड़ी है कि इसे 6 किलोमीटर की दूरी से भी देखा जा सकता है। इस मूर्ति में दो लिफ्ट भी लगी हैं, जिनके माध्यम से आप सरदार पटेल के हृदय तक पहुंच सकेंगे। वहां से आप सरदार सरोवर बांध का भी नजारा देख ले सकेंगे।
  5. सरदार की मूर्ति तक पर्यटकों के पहुंचने के लिए पुल और बोट की व्यवस्था की जाएगी। वहीं पर्यटकों के ठहरने के लिए मूर्ति के 3 किलोमीटर की दूरी पर एक टेंट सिटी भी बनाई गई है। जो 52 कमरों का श्रेष्ठ भारत भवन 3 स्टार होटल है। जहां आप रात भर रुक भी सकते हैं। वहीं स्टैच्यू के नीचे एक म्यूजियम भी तैयार किया गया है, जहां पर सरदार पटेल की स्मृति से जुड़ी कई चीजें रखी जाएंगी।