योग और अध्यात्म का क्षेत्र अद्भुत और अनछूए रहष्यों से यूँ ही नही भरा अनेक युगपरुषों ने अपने जीवन को आहूत करके इस विज्ञान को खड़ा किया हैं।
इसी कड़ी में एक ऐसे युगपुरुष का योगदान अछूता नही रहा जिनकी योग साधनाये पूरी दुनिया में अपनी प्रमाणिकता पर खरी उतरती और मानव भलाई के लिए प्रेरणा स्त्रोत हैं।
कहा जाता है कि इन्होंने मानव चेतना पर ऐसे रहस्य उजागर किये जिनको आज का सुपर विज्ञान कहा जाने वाला भौतिक जगत कल्पना भी नही कर पाया।
कुछ ऐसी थी चेतनाशक्ति
अपनी चेतनाशक्ति के द्वारा अपने सिर तक के बाल खड़े कर देते थे। उन्होंने ही आज के तनाव पूर्ण जीवन से मुक्ति और मानव भलाई, शांति आदि के लिए “सविता की धारणा ध्यान” की आद्यात्मिक तकनीक दी। उन्होंने ही गायत्री जप , हंस विद्या पर भी जोर दिया।
सम्पूर्ण जैव जगत उनके चिंतन का केंद्र रहा जिसके लिए वातावरण आधार है उसकी शुद्धता अति अनिवार्य है इसे लिए उनकी अमूल्य देन हवन यज्ञ। जिसको नित प्रतिदिन करना होता है। हरिभूमि हरिद्वार में शान्तिकुंज स्थापित कर इस काम को pratical का कार्य सुरु हुआ और दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है।
इनके इस प्रेरणादायक जीवन के लिए इनको भारत सरकार ने अपने शिक्षा पाठ्यकरम में शामिल किया गया है जिनका नाम है पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य। इनके गुरु रहे पंडित मदनमोहन मालवीय। वर्तमान में यूजीसी हो या आयुष मंत्रालय के qci सभी आध्यामिक ओर योग क्षेत्र में इनके योगदान को अनदेखा नही किया जा सकता।
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