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इस दिवाली करें चीन की चीजों का बहिष्कार और करें स्वदेशी दीयों का इस्तेमाल

लखीमपुर-खीरी। ये तो सभी जानतें हैं कि चीन भारत में अपना कारोबार करता है अगर भारत इन चीजों का खरीद कर सहयोग न करें तो चीन की अर्थव्यवस्थ खराब हो जाएगी, और शायद इतना ही नही ये किसी भी देश से कभी आगे न निकल पायें. आंकड़ों के अनुसार महज़ 3 महीने अगर भारत चीन की चीजों का बहिष्कार कर ले तो चीन आर्थिक सामाजिक तरह से टूट जायेगा।
 यही वजह है कि दीपावली में चाइनीज इलेक्ट्रानिक आइटम व पटाखों आदि का अभी से विरोध शुरू हो गया है। नतीजन इस बार चीन निर्मित सामानों की मांग में कमी दिखाई दे रही है। देशी कामगार इस मंशा को भांप कर पूरे जी-तोड़ मेहनत कर आबादी के मुताबिक दीपावली में सामान का निर्माण करने में लगे हुए हैं।

दीपावली यानी रोशनी का त्यौहार

हिंदू समुदाय के लगभग सभी घर दीपावली में दीयों व झालरों की रोशनी से जगमगाते हैं। विगत कई सालों से चीन इस त्यौहार को ‘कैशÓ करता आया है। दीपावली में भारी तादात में चाइनीज झालरों, पटाखों, मूर्तियों व अन्य इलेक्ट्रानिक आइटमों की बिक्री धड़ल्ले से होती थी। इस बार परिस्थितियां कुछ उलट दिखाई दे रही हैं। लोग चीनी सामान का विरोध कर रहे हैं। यह खबर देशी कारीगरों के लिए खुश करने वाली थी। लोगों की भावनाएं समझ कर देशी कारीगर दीपावली का सामान तैयार करने में जुट गए हैं। इसका जीता-जागता नजारा तब दिखा जब शहर से सटे एक गांव में कुम्हार परिवार द्वारा बड़ी मात्रा में दियों व मिट्टी के खिलौनों आदि का निर्माण करता मिला। कुम्हार ने बताया कि इस बार अभी से ही देशी सामान की मांग होने लगी है। यह देशी कारीगरों के लिए खुशी की बात है।
 हाड़-तोड़ मेहनत के बावजूद कुम्हार के परिवार के चेहरे पर खुशी साफ झलक रही थी। उत्साह इस कदर था कि न केवल कुम्हार व उसकी पत्नी बल्कि बच्चे भी इस काम में पूरी तरह सराबोर नजर आए। कहीं कुम्हार व उसका परिवार काफी बने व अधबने दीयों के साथ दीये निर्मित करते नजर आए तो कहीं उन्हें सूखने के लिए सजाते। यह दृश्य अकेले मुख्यालय का ही नहीं बल्कि जिले के अन्य इलाकों में भी नजर आ रहा है। इन देशी कारीगरों को उम्मीद है कि इस बार की दीपावली।